नई दिल्ली। श्रीलंका ने एक बड़े फैसले में हंबनटोटा के मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का प्रबंधन भारतीय और रूसी कम्पनी को सौंपा है। शुक्रवार को बाकायदा श्रीलंकाई कैबिनेट ने इस फैसले को हरी झंडी दी। इस फैसले को चीन के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि चीन ने इस एयरपोर्ट के निर्माण में श्रीलंका को वित्तीय मदद की थी।

श्रीलंका कैबिनेट की बैठक में एलओआई मंगवाने की मंजूरी

श्रीलंका कैबिनेट की बैठक में लेटर आफ इंटरेस्ट मंगवाने की मंजूरी दे दी गई। श्रीलंका सरकार के मंत्री ओर प्रवक्ता बंडुला गनवार्डेना ने यह जानकारी दी। उसके बाद कैबिनेट की सलाहकार समिति एक्शन में आई और भारत की शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को यह जिम्मा सौंपा। कम्पनी 30 वर्षों तक प्रबंधन संभालेगी।

209 मिलियन अमेरिकी डॉलर की खर्च से बना था एयरपोर्ट

आपको बता दें कि श्रीलंका के इस एयरपोर्ट को बनाने में कुल 209 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आई थी। पर उड़ानों की कमी के कारण इसे दुनिया का सबसे खाली हवार्ड अड्ड का तमगा दिया जाने लगा था। इसी वजह से एयरपोर्ट लगातार घाटे में जा रहा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका सरकार 2016 से ही ऐसे भागीदारों की तलाश कर रही थी, जो एयरपोर्ट का प्रबंधन संभाल सकें। अब उसी एयरपोर्ट का प्रबंधन भारतीय कम्पनी देखेगी।

श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाने का लगा था आरोप

इस हवाई अड्डे के निर्माण में चीन ने श्रीलंका की आर्थिक तौर पर हेल्प की थी। तब भी उसे चीन की एक बड़ी साजिश के रूप में देखा जा रहा था, क्योंकि एयरपोर्ट के निर्माण के लिए चीन ने श्रीलंका को जो लोन दिया था, उसकी ब्याज दरें काफी ऊंची थीं। चीन के एग्जिम बैंक ने निर्माण के लिए 19 करोड़ डॉलर की धनराशि दी थी। विशेषज्ञों ने तब चीन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि इसके जरिए श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया जा रहा है।

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