INS अरिघात: भारतीय नौसेना की नई न्यूक्लियर पनडुब्बी जो हिंद महासागर में चीन के बढ़ते खतरे का करारा जवाब देगी। घातक मिसाइलों से लैस और महीनों तक पानी में रहने वाली यह पनडुब्बी भारत की सुरक्षा को नए स्तर पर ले जाएगी।
नयी दिल्ली। समुद्र की गहराईयों में भारतीय नौसेना की ताकत अब और भी घातक हो चुकी है। INS अरिघात, जो न्यूक्लियर पनडुब्बी की श्रेणी में भारतीय सेना का सबसे नया और अत्याधुनिक हथियार है, 29 अगस्त को ये नौसेना के बेड़े में शामिल हो गई है। यह पनडुब्बी सिर्फ पानी के नीचे महीनों तक टिकने में सक्षम नहीं है, बल्कि इसमें K-4 और K-15 जैसी घातक मिसाइलें भी तैनात हैं, जो 3,000 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने की क्षमता रखती हैं।
आम पनडुब्बियों से कहीं अधिक तेज
INS अरिघात की निर्माण प्रक्रिया विशाखापट्टनम के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (ATV) प्रोजेक्ट के तहत पूरी की गई है। यह पनडुब्बी 12-15 समुद्री मील की गति से सतह पर और 24 समुद्री मील की गति से पानी के अंदर चलने में सक्षम है, जिससे यह आम पनडुब्बियों से कहीं अधिक तेजी से काम कर सकती है। 6,000 टन वजन और 111.6 मीटर लंबाई वाली इस पनडुब्बी की संचार प्रणाली, समुद्री मिसाइलें और विकिरण रोधी सुरक्षा इसे अजेय बनाती हैं।
INS Arihant से भी घातक है आईएनएस अरिघात
साल 2014 में भारत की पहली न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) नेवी के बेड़े में शामिल हुई थी। आईएनएस अरिघात उससे भी ज्यादा खरतनाक है। दुश्मनों को करारा जवाब देने के लिए भारत दो और न्यूक्लियर पनडुब्बी तैयार कर रही है, इसके 2035-36 तक बनकर तैयार होने की संभावना है।
INS अरिघात की खासियत
समंदर के अंदर से मिसाइल हमला करने की कैपेसिटी है। सोनार संचार प्रणाली और विकिरण रोधी सिक्योरिटी सिस्टम से लैस है। समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील यानी 44 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड। आठ लॉन्च ट्यूब इसे बेजोड़ बनाते हैं। आम सबमरीन का पानी के अंदर कुछ घंटों बाद ही दम घुटने लगता है यानी कुछ घंटों के अंतराल पर उन्हें समंदर की सतह पर लाना पड़ता है, जबकि आईएनएस अरिघात की पानी के अंदर महीनों रहने की कैपेसिटी है, जो इसे बेजोड़ बनाती है। सतह पर हो या पानी के अंदर, यह आम सबमरीन से तेज है।
Last Updated Aug 29, 2024, 1:44 PM IST