नई दिल्ली। भारत ने अपने समुद्री बेड़े में एक और आधुनिक स्टील्थ गाइडेड मिसाइल युद्धपोत आईएनएस तुशिल को शामिल किया है। यह पोत मॉर्डन टेक्नोलॉजी और पॉवरफुल वेपन सिस्टम से लैस है, जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधी देशों की चिंता बढ़ना तय है। आईएनएस तुशिल न केवल भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

रूस में लॉन्च समारोह, डिफेंस मिनिस्टर रहें मौजूद

आईएनएस तुशिल को 9 दिसंबर, 2024 को रूस के कलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने इसे भारत-रूस साझेदारी का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पोत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारत की तकनीकी प्रगति और सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह वॉरशिप दोनों देशों की डिफेंस सेक्टर में गहरी साझेदारी का प्रतीक है।

आईएनएस तुशिल की खासियत

गाइडेड मिसाइल से लैस पॉवरफुल सिस्टम।
आईएनएस तुशिल को हवा, सतह, पानी के नीचे और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्ड में वॉर के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, श्टिल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, वायुरोधी और सतही तोप, तीव्र फायर गन प्रणाली से लैस।
जहाज की डिज़ाइन ऐसी है, जिससे यह रडार को चकमा दे सकता है।
दुश्मन की पनडुब्बियां भी नहीं पकड़ सकेंगी।
टारपीडो और रॉकेट सिस्टम से लैस, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम हैं।
हाईटेक पनडुब्बी रोधी, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, कामोव 28 और कामोव 31 ले जाने में सक्षम।
गैस टरबाइन प्रॉपल्सन से संचालित।
तोपखाना और मिसाइल विशेषज्ञ कैप्टन पीटर वर्गीस के हाथों में जहाज की कमान।
कामोव 28 और कामोव 31 हेलीकॉप्टर हवाई निगरानी करेंगे। 
आईएनएस तुशिल की अधिकतम गति 30 नॉट्स से अधिक है।
इसकी स्टेल्थ और लड़ाकू क्षमताओं को ऑटोमेशन के जरिए बेहतर बनाया गया है।

क्रिवाक III कैटेगरी पर बेस्ड डिजाइन

इससे पहले भारत ने इसी परियोजना के तहत छह युद्धपोत प्राप्त किए थे। आईएनएस तुशिल सातवां पोत है और इसकी डिजाइन क्रिवाक III श्रेणी पर आधारित है। इस युद्धपोत की निकट दूरी की तोप प्रणाली दुश्मन के मिसाइल और हवाई खतरों को विफल करती है। एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम दुश्मन की निगरानी प्रणाली को विफल कर सकता है।

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