नयी दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे लंबा पुल कहां है? हम आपको आज इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। यह पुल असम की लोहित नदी पर बना है। मुंबई के सी-लिंक ब्रिज से भी लंबा है। दो राज्‍यों को जोड़ने वाले इस पुल का नाम भूपेन हजारिका सेतु है। इसे ढोला-सादिया ब्रिज भी कहते हैं। ये ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक लोहित नदी के ऊपर बना है। इसका एक छोर असम के ढोला और दूसरा सदिया में पड़ता है। 

दो प्रदेशों को आपस में है जोड़ने वाला पुल

यह पुल असम और अरूणाचल प्रदेश को आपस में जोड़ता है। असम का ढोला क्षेत्र अरूणाचल प्रदेश के पास है। 182 खंभों पर टिके पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है। साल 2011 में पुल बनना शुरू हुआ था। साल 2017 में बनकर तैयार हुआ। इसमें कुल 950 करोड़ की लागत आई थी। पुल की खासियत है कि यह भूकंप के झटके भी झेल सकता है और 60 टन के मेन बैटल टैंक भी पुल पर से गुजर सकते हैं। 

बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 30 फीसदी ज्यादा लंबा

लंबाई के मामले में देखा जाए तो यह पुल बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 30 फीसदी ज्यादा लंबा है। दुनियाभर के सबसे लंबे पुल की लिस्ट में इसका नाम दर्ज है। वैसे दुनिया का सबसे लंबा पुल चीन का दनयांग-कुनशन ग्रांड ब्रिज है। मई 2017 में पीएम मोदी ने पुल का उद्घाटन किया था और इसका नाम महान गायक भूपेन हजारिका के नाम पर रखने का ऐलान किया था।

पुल का नाम क्यों पड़ा ढोला-सादिया?

आप यह भी जानने को उत्सुक होंगे कि जब पीएम नरेंद्र मोदी ने पुल का नाम भूपेन हजारिका पुल रखने का ऐलान किया तो फिर पुल का नाम ढोला-सादिया क्यों पड़ा? आपको बता दें कि यह पुल अरूणाचल प्रदेश की सीमा के कुछ ही दूरी पर स्थित तिनसुकिया जिले में स्थिति ढोला गांव से शुरू होता है और असम के सादिया गांव को जोड़ता है। इस वजह से पुल को ढोला-सादिया भी कहा जाता है।

असम और अरूणाचल प्रदेश के बीच दूरी 165 किमी हुई कम

वैसे इस सेतु की असम की राजधानी दिसपुर से दूरी करीबन 544 किलोमीटर है और अरूणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर। देखा जाए तो चीन सीमा से 100 किलोमीटर से भी कम की हवाई दूरी पर स्थित है। लोहित नदी पर पुल बना है। जिससे असम और अरूणाचल प्रदेश के बीच की दूरी 165 किलोमीटर तक कम हुई है। 

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