नयी दिल्ली। भारत के ब्रह्मास्त्र ब्रह्मोस मिसाइल ने चीन का चैन छीन लिया है। इसकी वजह फिलीपींस की तरफ से बनाया गया ब्रह्मेास मिसाइल का बेस है। दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दक्षिण चीन सागर में चीन का जवाब देने को तैयार है। जहां चीन के युद्धपोत, ड्रोन्स और विमान फिलीपींस की मारक क्षमता के दायरे में आ गए हैं।

फिलिपींस के पश्चिमी लुजॉन में ब्रह्मोस मिसाइल बेस 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों में फिलिपींस के पश्चिमी लुजॉन में ब्रह्मोस मिसाइल बेस के डेवलपमेंट का नजारा साफ दिख रहा है। यह बेस लुजॉन के जामबेल्स स्थित नेवल स्टेशन लियोविजिल्डो गांतियोकोई में स्थित फिलिपीन मर्चेंट एकेडमी के साउथ में बन रहा है। पूर्व में यहां तटीय सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाती थी। बेस पर मरीन एंफिबियस असॉल्ट व्हीकल्स भी हैं। आपको बता दें कि चीन से अपने देश की सुरक्षा करने के लिए फिलीपींस ने साल 2022 में भारत से ब्रह्मोस मिसाइलों की डील की थी। 

2022 में डील, दो साल बाद सौंपी ब्रह्मोस 

भारत से 2022 में 3131 करोड़ रुपए की डील के 2 साल बाद भारत ने फिलिपींस को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सौंपी। फिलीपींस की आबादी महज 11.46 करोड़ है। आकार में भारत से काफी छोटा है। फिर भी अपने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए फिलीपींस दुनिया की सबसे तेज मिसाइल ऐसी जगह पर तैनात कर रहा है, जहां से चीन को जवाब दिया जा सके। अब फिलीपींस की ताकत में इजाफा हुआ है, क्योंकि ब्रह्मोस दुनिया की उन मिसाइल में गिनी जाती है, जिससे कहीं से भी टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है।

छोटे-छोटे 7641 द्वीपों का एक समूह है फिलीपींस

फिलीपींस 343,448 वर्ग km में फैला है, जो भारत से 996 प्रतिशत छोटा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह देश छोटे-छोटे 7641 द्वीपों का एक समूह है, जो दक्षिणी चीन सागर में फैला हुआ है। फिलीपींस की समुद्री सीमा जापान, इंडोनेशिया, वियतनाम, चीन, मलेशिया, ताइवान, पलाऊ के साथ लगती है। आबादी के लिहाज से यह दुनिया का 12वां बड़ा देश है। ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत यह है कि यह 10 मीटर की ऊंचाई से ही उड़ान भरने में सक्षम है। दुश्मन के राडार को चकमा देकर चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त करने की क्षमता रखता है। स्पीड के मामले में यह अमेरिका के टोमाहॉक मिसाइल से आगे है। सबसे बड़ी बात इस सुपरसोनिक मिसाइल को भेदना असंभव है। 

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