नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। जिसमें उन्होंने भारत की एक "महान शक्ति" यानी ग्रेट पावर के रूप में जमकर तारीफ की। पुतिन ने इंडियन इकोनॉमी और कल्चर को खुले दिल से सराहा। उनके इस बयान का असर चीन और पाकिस्तान पर पड़ सकता है, जो ग्लोबल लेवल पर भारत के बढ़ते प्रभाव से पहले ही असहज हैं।

वल्दाई डिसक्शन क्लब को संबोधित कर रहे थे पुतिन 

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने वल्दाई डिसक्शन क्लब को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रूस और भारत के संबंध ऐतिहासिक और गहरे हैं। डिफेंस, टेक्नोलॉजी, पॉवर और इकोनॉमिक सेक्टर में भारत-रूस का सहयोग बढ़ा है। उन्होंने दुनिया में भारत की बढ़ती भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का स्थान दुनिया की अन्य महाशक्तियों के बीच होना चाहिए। उनके इस बयान की भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जमकर चर्चा हो रही है। 

चीन क्यों हो सकता है असहज?

पुतिन के भारत की तारीफ करने से चीन में असहजता की स्थिति पैदा हो सकती है। चीन ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में खुद को "शांति दूत" के रूप में पेश करने की कोशिश की थी। इसके लिए उसने एक 12-पॉइंट का प्लान भी पेश किया था। हालांकि, चीन के प्लान को ज्यादा समर्थन नहीं मिला। इसके विपरीत पुतिन ने कहा था कि भारत शांति वार्ता में अहम भूमिका निभा सकता है। यह चीन के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि चीन खुद को दुनिया में एक सुपरपॉवर के रूप में देखना चाहता है, जबकि भारत सबको साथ लेकर अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है। चीन की आर्थिक और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच पुतिन का भारत को महाशक्ति कहना न केवल भारत-रूस संबंधों को मज़बूत करता है, बल्कि चीन के लिए एक स्पष्ट संकेत भी है कि वैश्विक राजनीति में भारत का कद लगातार बढ़ रहा है।

पाकिस्तान को क्यों लगेगा झटका?

पाकिस्तान के संदर्भ में देखा जाए तो पुतिन के बयान ने पड़ोसी देश में असहजता की स्थिति पैदा कर दी है। रूस , भारत के हितों का समर्थन करता रहा है, चाहे वह 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या 1999 का कारगिल संघर्ष। हर बार रूस ने भारत का पक्ष लिया है। हाल ही में पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से BRICS समूह में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन भारत की आपत्ति के चलते पाकिस्तान की यह कोशिश विफल रही। पुतिन का भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है, जिससे उसकी स्थिति और असहज हो सकती है।

पुतिन का यह बयान भी चर्चा में रहा

भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंध इतने मजबूत हैं कि दोनों देशों के बीच संवाद में भाषा की दीवारें भी कोई मायने नहीं रखतीं। जुलाई में कजाकिस्तान में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक में शामिल न होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुतिन के विशेष निमंत्रण पर कज़ान में हुए BRICS सम्मेलन में गए थे। इस दौरान जब दोनों नेता अपनी-अपनी भाषा में बोल रहे थे, तो पुतिन ने मजाक में कहा कि हमारे रिश्ते इतने प्रगाढ़ हैं कि हमें एक-दूसरे की बातें समझने के लिए ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं है। तब भी पुतिन की इस टिप्पणी की दुनिया भर में खूब चर्चा हुई थी।

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