नयी दिल्ली। दुनिया भर में भारत की ब्रह्मोस ताकतवर मिसाइल में गिनी जाती है। टारगेट पर सबसे सटीक हमले के साथ रडार को भी चकमा देने में माहिर है। भारत और रूस ने मिलकर इसका निर्माण किया था। अब उसी मॉडल के बेस पर दोनों देश मिलकर सुखोई एसयू-30 एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) का प्रोडक्शन शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, देश में ही इसका निर्माण किया जाएगा। यह लड़ाकू विमान विदेशी खरीददारों को बेचने पर भी बातचीत चल रही है।

नया आर्डर मिलने से पहले भी रूस सपोर्ट को तैयार

मेक-इन-इंडिया के तहत Su-30MKI का प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट भारत के डिफेंस सेक्टर में उछाल लाएगा। ट्विनजेट मल्टीरोल एयर सुपीरियरिटी फाइटर जेट सुखोई Su-3OMKI का यूज चीन, इंडोनेशिया, युगांडा, मलेशिया, अल्जीरिया, वियतनाम और वेनेजुएला जैसी कंट्री भी करती हैं। अब एचएएल और रूसी सुखोई इन जेट्स को एक्सपोर्ट करने के लिए नये सिरे से प्रोडक्शन पर चर्चा कर रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो रूस नया आर्डर मिलने से पहले भी सपोर्ट को तैयार है। पर यदि नये आर्डर नहीं मिलते हैं तो ऐसे में एचएएल की सुखोई असेंबलिंग का काम बंद हो सकता है। हालांकि वह मिग सीरिज के जेट्स और एसयू-30 एमकेआई के रख रखाव करता रहेगा।

इस तरह भारतीय वायु सेना बढ़ा रही अपनी ताकत

इधर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय वायु सेना को 272 फाइटर जेट Su-30MKI की आपूर्ति कर दी है, जो कई दशकों तक एयरफोर्स की रीढ़ की तरह काम करेगा। दरअसल, यह जेट्स HAL ने रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) कॉन्ट्रैक्ट के तहत नासिक में असेंबल किया था। वायु सेना के सुखोई बेड़े को 2060 तक आपरेशन में बनाए रखने के लिए एक बड़ा अपग्रेडेशन चल रहा है। 40 फाइटर जेट को इस तरह संशोधित किया जा रहा है। जिससे वह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जे ला सके। 

सुखोई के अपग्रेडेशन में स्वदेशी 

भारतीय वायुसेना के कई सुखोई विमान विभिन्न एक्सीडेंट में नष्ट हो चुके हैं। उनकी जगह 12 और विमानों का आर्डर देने पर विचार किया जा रहा है। सुखोई के अपग्रेडेशन में भारत ने स्वदेशीकरण की काफी कोशिशें की। उसमें 78 फीसदी स्वदेशी चीजें ही यूज की गईं। जिससे उन विमानों की सेवा अवधि में 1500 अतिरिक्त उड़ान घंटो की बढ़ोत्तरी हुई है।

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