जानिए Z-Morh सुरंग की खासियत, इसका सामरिक महत्व, 2,400 करोड़ की लागत और कैसे यह कश्मीर और लद्दाख को जोड़ते हुए भारत की सुरक्षा और पर्यटन को नया आयाम दे रही है।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में बहुप्रतीक्षित ‘जेड-मोड़’ सुरंग का उद्घाटन किया। यह सुरंग केवल एक बुनियादी ढांचा नहीं है, बल्कि भारत की स्ट्रैटेजिक पॉवर और टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ी छलांग है। आतंकवादियों ने इस सुरंग का निर्माण रोकने की कई बार कोशिशें की। पर काम बंद नहीं हुआ। आइए जानते हैं जेड-मोड़ सुरंग से जुड़ी दिलचस्प बातें। जिसकी वजह से चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ गई है।
1. जेड-मोड़ सुरंग क्या है?
जेड-मोड़ सुरंग 6.5 किलोमीटर लंबी है, जो जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग को श्रीनगर और लद्दाख से कनेक्ट करती है। उस स्थान पर सड़क ‘Z’ आकार के घुमावदार रास्तों से गुजरी है। इसी वजह से सुरंग का नाम Z-मोड़ दिया गया। सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी के कारण सोनमर्ग तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है। पर अब सुरंग के बन जाने से सोनमर्ग की यात्रा हर मौसम में आसान होगी।
2. सुरंग का रणनीतिक महत्व क्या?
8500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग केवल आम नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा रणनीतियों के लिए भी अहम है। यह सुरंग सेना को लद्दाख तक पहुंचने में मददगार साबित होगी। इसके कारण, सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों की आवाजाही और जरूरी सामनों की आपूर्ति, फास्ट और सेफ होगी।
3. चीन और पाकिस्तान की क्यों उड़ी है नींद?
यह सुरंग भारत को चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भू-रणनीतिक बढ़त देती है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों और हथियारों की आपूर्ति में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जेड-मोड़ सुरंग और जोजिला सुरंग के पूरा होने से अब यह परेशानी खत्म होगी। इन सुरंगों से सीमावर्ती इलाको में आर्मी की कैपेसिटी मजबूत होगी।
4. 2,400 करोड़ रुपये की लागत
सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा किया गया है। इसकी कुल लागत 2,400 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे सर्दियों की कठिन चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाती है।
5. पर्यटकों के लिए वरदान
सर्दियों में बर्फबारी के कारण सोनमर्ग का संपर्क कट जाता था। यह सुरंग अब पर्यटकों को पूरे साल इस खूबसूरत घाटी का आनंद लेने का मौका देगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि पर्यटन कश्मीर और लद्दाख की आय का एक बड़ा सोर्स है।
6. 2012 में शुरू हुआ था काम
इस सुरंग का निर्माण कार्य 2012 में सीमा सड़क संगठन (BRO) ने शुरू किया था। हालांकि, परियोजना में कई बार रुकावटें आईं। अंततः APCO इंफ्राटेक ने इसे पूरा किया। सुरंग का निर्माण कई कठिन भौगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियों को पार करके किया गया है।
7. जोजिला सुरंग बढ़ाएगी ताकत
जेड-मोड़ सुरंग के बाद जोजिला सुरंग का निर्माण 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह सुरंग सोनमर्ग को लद्दाख के द्रास क्षेत्र से जोड़ेगी। इन दोनों सुरंगों के जरिए भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर सुरक्षा बलों की तैनाती तेज़ और सुविधाजनक होगी।
8. इस परियोजना की आवश्यकता क्यों पड़ी?
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना को भारी बर्फबारी के कारण आपूर्ति और तोपखाने पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसकी वजह से सरकार को हिमालयी क्षेत्रों में ऑल-सीजन कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली सुरंगों की जरूरत महसूस हुई।
9. कैसे बढ़ेगा स्थानीय व्यापार और रोजगार?
सुरंग का निर्माण केवल पर्यटन को ही नहीं, बल्कि स्थानीय व्यापार को भी प्रोत्साहित करेगा। निर्माण के दौरान हज़ारों लोगों को रोजगार मिला, और अब जब यह चालू हो चुकी है, तो यह क्षेत्रीय उद्योगों, होटल व्यवसाय और परिवहन सेवाओं को बढ़ावा देगी।
10. मॉर्डन टेक्नोलॉजी से लैस है सुरंग
यह सुरंग वेंटिलेशन, फायर सेफ्टी और सीसीटीवी जैसी एडवांस फेसिलिटी से लैस है। इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह प्राकृतिक आपदाओं और आतंकवादी खतरों का सामना कर सके।
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Last Updated Jan 13, 2025, 1:37 PM IST