13 सितंबर, 2024 को डीआरडीओ ने भारत की रक्षा शक्ति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। ज़ोरावर लाइट टैंक और वीएलएसआरएसएएम मिसाइल के सफल परीक्षणों ने भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी की आत्मनिर्भरता और शक्ति एक बार फिर साबित कर दी।
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 13 सितंबर, 2024 का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक बनाया। दो बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। एक ओर, भारतीय लाइट टैंक ‘ज़ोरावर’ और दूसरी ओर, वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) का लगातार दूसरा सफल परीक्षण किया। इससे भारत की डिफेंस पॉवर को नई उड़ान मिली है। यह देखकर दुश्मनों में खलबली मच जाएगी।
ज़ोरावर लाइट टैंक: ऊंचाई वाले इलाकों में भी जबरदस्त परफॉर्मेंस
डीआरडीओ द्वारा विकसित ज़ोरावर लाइट टैंक को ऊंचाई वाले और कठिन इलाकों में तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 13 सितंबर को रेगिस्तानी इलाकों में इसका फील्ड फायरिंग परीक्षण किया गया, टैंक टेस्टिंग के मानकों पर खरी उतरी। शुरूआती परीक्षणों में इसकी फायरिंग कैपेसिटी को कड़े मानदंडों की कसौटी पर कसा गया। ज़ोरावर ने हर इम्तिहान को पास किया।
क्या है ज़ोरावर लाइट टैंक की खासियत?
ज़ोरावर की पहली विशेषता है कि इसे भारत में ही डेवलप किया गया है। नतीजतन स्वेदशी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है। डीआरडीओ की यूनिट लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) ने लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ मिलकर इसका निर्माण किया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भी इसमें अहम भूमिका रही है, उन्होंने इसके कलपुर्जों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया है।
VL-SRSAM: सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
13 सितंबर, 2024 के दिन, डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने वीएलएसआरएसएएम मिसाइल की लगातार दूसरी सफल टेस्टिंग की। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किया गया, जहां मिसाइल ने समुद्री खतरे का पीछा किया और एक हाई स्पीड वाले टारगेट को ध्वस्त कर दिया। 12 सितंबर को पहले परीक्षण में भी मिसाइल ने कम ऊंचाई वाले टारगेट को बेअसर किया था। मॉर्डन टेक्नोलॉजी से लैस यह मिसाइल भारतीय सुरक्षा बलों की कैपेसिटी में चार चांद लगाएंगी।
Last Updated Sep 14, 2024, 12:10 PM IST