बाइबिल
(Search results - 3)ViewsOct 24, 2018, 7:25 PM IST
तो चलिए हम सब 'रुढ़िवादी' हिंदू बन जाते हैं
इस इक्कीसवी सदी में हमारे लिये यह उचित समय है जब हम एक समुदाय को दूसरे समुदाय के विरोध में खड़ा करने वाले हानिकारक, अप्रमाणित रुढ़िवाद का त्याग करें? सब से अच्छा विकल्प है कि हम हिंदू मूलतत्वों का अनुसरण करें। तो चलें, हम सब मनुष्यों में, कुदरत में और पशुओं में भी ईश्वरत्व देखनेवाले रुढ़िवादी हिंदू बनें। इससे संपूर्ण विश्व का लाभ होगा।
ViewsOct 15, 2018, 4:03 PM IST
‘परमब्रह्म परमेश्वर’ से अलग हैं ‘गॉड’ और ‘अल्लाह’
प्राचीनकाल में जब ईसाईयत और इस्लाम का कोई अस्तित्व नहीं था, तब सर्वोच्च सत्य के बारे में वैदिक धर्म की समझ बहुत ही परिपक्व थी। हिंदू परंपरा में परमसत्य को ब्रह्म के नाम से जाना जाता है। यह सबसे सूक्ष्म, अदृश्य, जागृत जैसे समस्त संसार का आधार है। ऋषियों ने उद्घोषणा की, कि ब्रह्म वह नहीं है जिसे आंखें देखती हैं, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से आंखें देख पाती हैं। ब्रह्म वह नहीं है जिसे मस्तिष्क सोचता है, बल्कि ब्रह्म वह है जिसकी वजह से मस्तिष्क सोच पाने में सक्षम हो पाता है। यह बात अब्राहमिक धर्मों के भगवान के लिए नहीं कही जा सकती।
ViewsOct 4, 2018, 4:00 PM IST
ननों की घुटी घुटी चीखों का जिम्मेदार कौन?
धार्मिक समानता के शंखनाद ने हिन्दू महिलाओं को अपनी आवाज़ बुलंद करने की पूरी आज़ादी दी है, पर बाकी धर्मो की महिलाओ के साथ आज भी भेदभाव हो रहा है। उनकी आज़ादी के शिगूफे कागज़ों में ही रह गए हैं। महिलाओं के मान और सम्मान की जब बात आती है इन धर्मों की कथनी और करनी में भारी विभेद नजर आता है। ईसाई धर्म में तो ये भेद भाव सारी हदें तोड़ गया है।