महाकुंभ 2025: प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र होगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभूतपूर्व उदाहरण भी पेश करेगा। हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ को इस बार खास बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और आयोजन समिति ने अनूठी पहल की है। विदेशी मेहमानों को इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनाने और भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए एक विशेष उपहार दिया जाएगा, जो पर्यावरण और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण होगा।

अक्षयवट के पवित्र पत्तों का उपहार

महाकुंभ 2025 में विदेशी अतिथियों को अक्षयवट के पवित्र पत्तों को उपहार के रूप में भेंट किया जाएगा। अक्षयवट हिंदू धर्म में अमरता का प्रतीक है। यह वृक्ष प्रयागराज में संगम तट पर स्थित है और इसकी महिमा धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित है। इस वृक्ष के पत्तों को मूंज की पारंपरिक डलियों में सजाकर विदेशी मेहमानों को भेंट किया जाएगा।

100 देशों तक पहुंचाया जाएगा ये गिफ्ट 

अक्षयवट को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है। इस वृक्ष की छांव में बैठकर ध्यान करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है। सरकार का लक्ष्य है कि अक्षयवट की महिमा को करीब 100 देशों तक पहुंचाया जाए। अक्षयवट के पत्तों को इकोफ्रेंडली मूंज की डलियों में पैक किया जाएगा, जो भारतीय पारंपरिक शिल्पकला को भी प्रदर्शित करता है।

महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण का मौका

यूपी सरकार ने एनआरएलएम (नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन) के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इन डलियों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी है। इन डलियों को इकोफ्रेंडली तरीके से तैयार किया जा रहा है। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी स्किल को बढ़ावा देने में मदद करेगी। मूंज की यह डलियां भारतीय शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण होंगी, जो विदेशी मेहमानों को हमारी संस्कृति से जोड़ेंगी। अक्षयवट का पत्ता भारत के आध्यात्मिक मूल्यों को दर्शाता है।

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