महाकुंभ 2025 में प्रयागराज के कुंभनगर में 8,000 से अधिक संस्थाएं बसेंगी, और 25,000 से अधिक कारीगरों को रोजगार मिलेगा। जानें इस भव्य और ईको-फ्रेंडली आयोजन की खास बातें।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज के संगम क्षेत्र में होने जा रहा है, और इस बार इसका स्वरूप पहले से भी भव्य और ईको-फ्रेंडली होगा। कुंभनगर की बसावट में धार्मिक महत्व के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा जा रहा है। इस आयोजन से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। आइए जानते हैं कि कितनी संस्थाओं को यहां बसाने की तैयारी की जा रही है।
कितनी संस्थाएं होंगी शामिल?
महाकुंभ 2025 में 8,000 से अधिक संस्थाओं को कुंभ क्षेत्र में बसाने का लक्ष्य है, जो पिछले महाकुंभ की तुलना में डेढ़ गुना अधिक है। इनमें से लगभग 3,800 संस्थाएं सनातन धर्म के प्रचार के लिए शिविर लगाती रही हैं। देखा जाए तो यह आयोजन धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के लिए एक मंच उपलब्ध करा रहा है।
कितने लोगों को रोजगार?
उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे पांच राज्यों के 25,000 से अधिक कारीगर यहां काम कर रहे हैं। बिहार के पूर्णिया से आए 7,000 से अधिक कारीगर शिविरों और कॉटेज के निर्माण में जुटे हैं। दारागंज, हेतापट्टी, मलवा छतनाग और झूंसी जैसे इलाकों में शिविर निर्माण के लिए कारीगरों की विशेष मांग है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में 32 झोपड़ियां बांस से बनाई जा रही हैं। अखाड़ों के कॉटेज बनाने का काम तेजी से चल रहा है।
चार हजार हेक्टेयर में मेला क्षेत्र
महाकुंभ 2025 का मेला क्षेत्र चार हजार हेक्टेयर में फैला होगा। पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा गया है, जहां हर सेक्टर में 400 से अधिक संस्थाओं को बसाया जाएगा। प्रमुख स्थान जैसे दारागंज, हेतापट्टी, झूंसी और मलवा छतनाग में शिविरों का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। शास्त्री पुल के नीचे देवरहा बाबा न्यास मंच के शिविर का निर्माण जारी है। यहां संतों और महंतों के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में विशेष कुटिया बन रही है। अखाड़ा क्षेत्र में 15 दिनों के अंदर 32 कुटिया बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी कुटिया पूरी तरह ईको-फ्रेंडली होंगी।
ईको-फ्रेंडली शिविरों की खासियत
इस बार महाकुंभ में संतों, महंतों, आचार्यों और शंकराचार्यों के शिविर पूरी तरह बांस और लकड़ी से बनाए जा रहे हैं। देवरहा बाबा न्यास मंच के महंत रामदास कहते हैं, “बांस के शिविरों में त्याग और संयम का विशेष आनंद मिलता है।” इन शिविरों में साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए विशेष कुटिया, यज्ञशाला और एकांत साधना कक्ष बनाए जा रहे हैं। इन सभी संरचनाओं के निर्माण में बांस और सरपट की मांग अधिक है।
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Last Updated Dec 3, 2024, 1:44 PM IST