नई दिल्ली। रिटायरमेंट प्लानिंग कितनी जरूरी है, ये तो सभी नौकरी पेशा लोग जानते और समझते हैं। अगर आपको बुढ़ापे में बिना कोई काम किए पैसे चाहिए तो उसके लिए पेंशन प्लान लेना अनिवार्य है। रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग तो हर कोई करता है, लेकिन ज्यादातर लोग इस दौरान कुछ बड़ी गलतियां कर देते हैं। नौकरी के दौरान की गईं ये छोटी-छोटी गलतियां आपके बुढ़ापे पर भारी पड़ती हैं। आइए आज ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में जानते हैं, जो लोग अक्सर रिटायरमेंट प्लानिंग के दौरान करते हैं और फिर बाद में परेशान होते हैं। 

1. EPF पर बहुत ज्यादा निर्भर हो जाना
बहुत से युवा सोचते हैं कि वे EPF के जरिए सेविंग कर रहे हैं, इसलिए वे अपने बुढ़ापे के लिए कोई अलग प्लान नहीं लेते। EPF का इंटरेस्ट रेट सरकार तय करती है और मार्केट में NPS जैसे कुछ बेहतर ऑप्शन भी मौजूद हैं। इसलिए EPF पर ज्यादा निर्भर न रहें और दूसरे ऑप्शन पर भी ध्यान दें।

2. नौकरी बदलते समय EPF ट्रांसफर न करना
अक्सर देखा जाता है कि नौकरी बदलने के बाद लोग अपने EPF का पैसा पुरानी कंपनी से नई कंपनी में ट्रांसफर नहीं करते हैं। इससे उन्हें ब्याज का नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए नौकरी बदलने के बाद पुरानी कंपनी का EPF का पैसा नई कंपनी में जरूर ट्रांसफर कर लें। इससे रेगुलर ब्याज मिलता रहेगा। 

3. देर से सेविंग की शुरूआत करना
नौकरी मिलने के बाद शुरुआत में ज्यादातर युवा सोचते हैं कि रिटायरमेंट के लिए अभी से पैसे क्यों बचाएं, बाद में पैसे बचा लेंगे। आपको बता दें कि आप जितनी जल्दी और जितना ज्यादा निवेश करना शुरू करेंगे, रिटायरमेंट पर उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा। अगर आपको रिटायरमेंट तक एक तय रकम की जरूरत है तो जल्दी निवेश शुरू करने से आपको हर महीने ज्यादा से ज्यादा पैसे इन्वेस्ट करने होंगे, तभी आप ज्यादा रिटर्न पाने की योजना बना सकता हैं। 

4. रिटायरमेंट की उम्र 60 साल मानना
हालांकि आधिकारिक तौर पर रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है, लेकिन आज के समय में लोग काफी प्रेशर में काम कर रहे हैं। ऐसे में 60 साल तक काम करते रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अगर आप नौकरी मिलने के तुरंत बाद रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर देते हैं, तो जरूरी नहीं है कि आप 60 साल में ही रिटायर हो जाएं, आप उससे पहले भी रिटायरमेंट ले सकते हैं या हो सकते हैं।

5. महंगाई को नजरअंदाज करना
अक्सर लोग रिटायरमेंट के लिए सेविंग करते समय यह नहीं सोचते कि आज से 25-30 साल बाद रुपये की कीमत क्या होगी। रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय वे महंगाई को नजरअंदाज कर देते हैं और मौजूदा रेट के हिसाब से पैसा निवेश करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में रिटायरमेंट पर उन्हें मिलने वाली पेंशन बहुत कम होती है, जिससे उनका खर्च ठीक से पूरा नहीं हो पाता।

 


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