सरकार ने बैंकों में पूंजी  डालने की जो घोषणा पिछले वर्ष में की थी उसकी अगली किस्त के बारे में भी इस बजट में  कुछ नहीं था।  हालांकि सरकार ने बैंकों में लोन की रिकवरी के लिए पहले से ही इंडियन  बैंकक्रप्सी  कोड 2016 और भगोड़ा कानून के द्वारा बैंकों को काफी हद तक ताकत प्रदान की है लेकिन इन कानूनों को सही तरीके से लागू करने के लिए बैंकों में पर्याप्त मात्रा में कर्मचारियों की भर्ती की  आवश्यकता है।  

वित्त मंत्री ने बैंक में फिक्स डिपॉजिट में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों को बड़ी राहत दी है केंद्रीय बजट 2019 में  बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले TDS की सीमा को 10000 से बढ़ाकर 40000 कर दिया गया है।  

पहले यह नियम था कि अगर बैंक में कराए गए आपके फिक्स डिपॉजिट पर आने वाला ब्याज सालाना 10000 की सीमा पार करता है तो बैंक को उसमें से 10% TDS काट कर केंद्र सरकार को देना होता है हालांकि बस इतने से ही उस व्यक्ति की पूंजी पर टैक्स देयता  खत्म नहीं हो जाती है इसके बाद भी उसे अपनी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से कर चुकाना होता है साथ ही उसे वह टैक्स देना होता है जो दूसरे तरीकों से उस पर बन रहा होता है।  

 अभी तक फिक्स डिपॉजिट के टैक्सबल अमाउंट  की लिमिट में आने वाले करदाताओं को फॉर्म 15G या  फॉर्म 15H भरकर यह बात डिक्लेयर  करनी होती थी कि किसी भी करदाता का TDS स्टेटस क्या है। इसका सीधा असर बैंक में फिक्स डिपॉजिट पर  पड़ेगा और ज्यादा लोग बैंक में फिक्स डिपॉजिट करवाएंगे जिससे लोन देने के लिए बैंकों को काफी मदद मिलेगी।  

सरकार ने पिछले बजट में पशु पालन एवं  मछली पालन को भी किसान क्रेडिट कार्ड देने की घोषणा की थी इस बजट के माध्यम से वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट के द्वारा लोन लेने वाले किसानों को ब्याज पर मिलने वाली 2% की सब्सिडी और समय पर लोन चुकाने वाले किसानों को जो 3% अतिरिक्त ब्याज की सब्सिडी का लाभ भी किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा पशुपालन और मछली पालन के लिए लिए गए लोन पर भी देने की घोषणा की है। 

 इसका असर  बैंकों में लोन की रिकवरी पड़ेगा और किसान समय पर लोन चुकाने के लिए प्रेरित होंगे।   सरकार यदि इस प्रकार की सुविधा को  कृषि क्षेत्र में भी दिए गए अन्य  लोन को  भी समय पर लौटाने के लिए करती है तो एक तरफ किसानों को राहत मिलेगी दूसरी और बैंकों के लोन की रिकवरी की सही तरह से हो पाएगी।   


श्रम संगठन लंबे समय से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कराने की जो मांग कर रहे थे उसको  ध्यान में रखते हुए भी वित्त मंत्री ने "प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना" की घोषणा की है इसके तहत ₹15000 मासिक कमाने वाले श्रमिकों को 60 साल की आयु के बाद ₹3000 प्रति मासिक पेंशन दी जाएगी उन्हें योजना के तहत श्रमिकों को मासिक ₹100 का योगदान करना होगा इसके साथ ही ₹100 की राशि सरकार से तरफ से दी जाएगी इससे 10,00,00,000 श्रमिकों को फायदा होगा। 

लेकिन इस योजना के तहत श्रमिकों को पहले से ही चल रही अटल पेंशन योजना से जोड़ा जाता तो अच्छा रहता क्योंकि अटल पेंशन योजना को बैंक के द्वारा ही लागू किया जा रहा है और बैंकों का यह वर्ग एक बड़ा टारगेट था।
 
वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग को भी बड़ी राहत देते हुए उनकी ₹500000 तक की सालाना आय को कर मुक्त कर दिया इसके लिए लोगों को आयकर बचाने के लिए जो निवेश करना होगा उसका भी सीधा लाभ बैंकों  को होगा लोग पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करेंगे और आयकर को बचाने के लिए जो हाउसिंग लोन लेंगे उससे भी बैंकों को लाभ होगा।   

यह भी सत्य है कि यह केवल अंतरिम बजट था और वित्त मंत्री के पास सीमित साधन और प्रावधान थे। यह भी सत्य है कि बैंक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और सेवा शर्तें इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और बैंक यूनियंस के बीच वेतन समझौते के तहत होती हैं लेकिन वह भी वित्त ममंत्रालय द्वारा निर्देशित होता हे।  उसके बारे में भी इस बजट में कोई कोई  चर्चा नहीं थी।  आशा है आने वाले पूर्ण बजट में तत्काल वित्त मंत्री बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकताओं का ध्यान रखेंगे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए पूंजी जुटाना लोन रिकवरी के लिए बैंकों को और ताकत प्रदान करना और पर्याप्त मात्रा में कर्मचारियों की भर्ती के लिए ध्यान देंगे। 

अश्वनी राणा 
उपाध्यक्ष 
नेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ बैंक वर्कर्स (भारतीय मजदूर संघ का औद्योगिक फेडरेशन)