मेरा मानना है कि किसान को खेतों तक पानी पहुंचाने के साथ खाद, बीज का इंतजाम कर दिया जाये और उसे उसकी लागत एवं मेहनत का उचित पारितोषिक मिल जाये, तो बाकी सब कुछ हमारा मेहनती किसान खुद ही कर लेता है: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
किसानों के नेता, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन की स्मृति में मनाये जाने वाले ‘किसान दिवस’ की अन्नदाता को ढेरों शुभकामनाएं।
आज के इस पावन दिवस पर अपने किसान भाइयों और बहनों के घनघोर परिश्रम को सलाम करता हूं।
मेरी नजर में यदि धरती पर कोई भगवान है, तो वह किसान ही है। किसान ही हमें अन्न के रूप में जीवन देता है। जीवन देने वाले किसान के प्रति हम सबके अंर्तमन में सदैव गहरा आदर भाव होना चाहिए। किसान से ही धरती समृद्ध है और हमारा जीवन भी। अन्न के बिना मानव जीवन में कोई उत्सव संभव नहीं है। हर उत्सव के मूल में विभिन्न प्रकार के स्वाद हैं। अन्न नहीं, तो फिर स्वाद कहां मिलेगा। हमारे जीवन में आनंद बिखेरने वाले किसान के जीवन में खुशहाली और उजाला हो, इसकी जिम्मेदारी हमारी है, आपकी है, समाज की है।
किसानों के जीवन में उजाला तभी संभव होगा, जब उसकी आय बढ़ेगी और उसे अपनी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। ऐसा होने से उसके जीवन में मंडराने वाले अनिश्चितता के घनघोर बादल छंट जायेंगे।
मेरा मानना है कि किसान को खेतों तक पानी पहुंचाने के साथ खाद, बीज का इंतजाम कर दिया जाये और उसे उसकी लागत एवं मेहनत का उचित पारितोषिक मिल जाये, तो बाकी सब कुछ हमारा मेहनती किसान खुद ही कर लेता है।
मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता को 6 गुना किया। इसके अलावा किसानों के लिए जीरो पर्सेंट ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने का काम किया। साथ ही लहसुन पर 800 रुपये प्रति क्विंटल और प्याज पर 400 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि की हमने व्यवस्था की थी।
किसानों के फसलों की सही कीमत मिले, इसलिए मंडियों में बिक्री संबंधी आधुनिक व्यवस्था की। किसानों के बेटे-बेटियों को उद्यमी बनने का रास्ता साफ हो, इसलिए 2 करोड़ तक लोन की व्यवस्था वाली कृषक उद्यमी योजना शुरू की।
किसानों के कल्याण के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं की सबसे बड़ी खामी यही है कि उसका लाभ ज्यादातर बड़े किसान ही ले पाते हैं, छोटे किसानों को योजनाओं का लाभ कई बार मिल ही नहीं पाता है। ऐसे किसान जो बाजार/मंडी तक नहीं पहुंच पाते हैं और गांव में ही अपनी कृषि उपज बेच देते हैं, उनके लिए हमने मैनिफेस्टो में लघु किसान स्वावलंबन योजना शामिल की थी। इस योजना के अंतर्गत ऐसे किसानों को बुवाई के वक्त ही रकबे के हिसाब से बोनस राशि मिले, ऐसा प्रावधान हमने किया था।
किसानों के कल्याण के लिए मैं निरंतर प्रयास करता रहता हूं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह ही मैं मानता हूं कि किसानों के लिए जितना कुछ किया जाये कम है। बापू कहा करते थे कि किसानों के लिए कितना भी किया जाए, वह किसानों को उनका वाजिब हक देर से देने के सिवाय और कुछ नहीं है।
बहरहाल, अभी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की है। मेरा यह मानना है कि किसानों के लिए कर्ज माफी कोई पर्मानेंट समाधान नहीं है और सिर्फ तात्कालिक राहत ही पहुंचाती है।
इसमें भी कांग्रेस ने तीनों राज्यों में अलग-अलग मापदंड इस्तेमाल किया है, किन्तु-परन्तु, पात्रता, कट ऑफ डेट की छननी लगा रही है। हर किसान का कर्ज माफ हो और इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। समय पर पैसा देने वाले किसानों को भी इसका लाभ मिले। बाकी राज्यों में 30 नवंबर 2018 तक का कर्ज माफ किया जा रहा है, तो फिर मध्यप्रदेश के किसानों का केवल 31 मार्च 2018 तक ही क्यों? मध्यप्रदेश के भी किसानों का 30 नवंबर 2018 तक का कर्ज माफ होना चाहिए। इसमें कोई बैरियर नहीं लगना चाहिए।
किसान को उसके श्रम की सही कीमत मिल जाये, तो उसको किसी सरकार के सामने हाथ न पसारना पड़े। मेरा यह मानना है कि लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की जरूरत है, जिससे खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सके। रिफॉर्म्स के साथ-साथ हमारे किसान को आधुनिक खेती की तकनीक, ऑर्गेनिक फार्मिंग, पर क्रॉप मोर ड्रॉप, सॉइल हेल्थ कार्ड इत्यादि की शिक्षा और ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
किसान को पारंपरिक खेती के अलावा पशु पालन, मधुमक्खी पालन, दुग्ध् उत्पादन, मुर्गी पालन आदि करना चाहिए, जिससे उसकी आमदनी बढ़े और आय डाइवर्सीफाई हो। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए कैश क्रॉप्स, एग्जॉटिक फ्रूट, सब्जियों आदि की खेती को बढ़ावा देना होगा। हमारे यहां भी ऑर्गेनिक फार्मिंग की जा रही है और किसानों को काफी लाभ मिल रहा है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग की सफलता का जीता-जागता उदाहरण विदिशा, सागर, सीहोर, होशंगाबाद और नरसिंहपुर हमारे सामने है। मैं जब अमेरिका गया था, तो वहां आधुनिक कृषि फार्म हाउस देखने का मौका मिला, जहां मल्टीपल क्रॉप्स साल में दो-तीन बार पैदा की जाती हैं। खेती से जुड़ी एक्टीविटीज का भी उपयोग किया जाता है।
खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए मूलत: चार उपाय हैं-
1. खेती की लागत को कम करना।
2. किसान को उसके उपज का सही भुगतान करना।
3- प्राकृतिक आपदा में किसान के नुकसान की भरपाई करना।
4- फसलों का विविधिकरण।
इससे न तो सिर्फ किसान की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उसके लिए खेती फायदेमंद साबित होगी। सस्ते दरों पर किसान को बिजली, खाद, पानी, कृषि यंत्र और क्रेडिट मुहैया कराने से उसकी कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन में कमी आयेगी। बम्पर पैदावार के कारण गिरती कीमतों की स्थिति में भी किसान को नुकसान नहीं होगा।
किसान को फ्री मार्केट एक्सेस मिलना चाहिए, ताकि सीधे वह एंड कंज्यूमर को अपनी उपज बेच सके और बिचौलियों से छुटकारा पाये। ऐसा करने से उसे अपनी फसल का उचित मूल्य मिल पायेगा। प्राकृतिक आपदा के कारण भी किसान कई बार विषम परिस्थितियों में फंस जाता है। ऐसे में उसके फसल के नुकसान की पूरी की पूरी भरपाई की जानी चाहिए। इसके अलावा किसानों को फसलों के विविधिकरण पर भी ध्यान देना चाहिए। फसलों के विविधिकरण से भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है।
फसलों की मांग और खपत की मैपिंग की जाये और किसानों को सुझाव दिये जायें कि किस फसल का कितना उत्पादन होना चाहिए, ताकि किसी फसल की बंपर पैदावार न हो और मार्केट प्राइस क्रैश न हो। ऐसे आवश्यकता के अनुरूप फसलों के पैदा करने से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल पायेगा। क्लस्टर फार्मिंग के तहत हर पंचायत में एग्री प्रोसेसिंग सेंटर की स्थापना की जाये, ताकि किसान को अपनी उपज की सही कीमत के लिए दूर-दराज मंडियों में न जाना पड़े। उसका ट्रांसपोर्ट खर्च बचे और वैल्यू एडिशन के माध्यम से उसकी कमाई में इजाफा हो।
तेलंगाना में किसानों को बुवाई से पहले, साल में दो बार, 4 हजार रुपये प्रति एकड़ ‘रायथु बंधु योजना’ के तहत सहायता राशि देने की शुरुआत की गई है। झारखंड में भी प्रति एकड़ 5 हजार रुपये सहायता देने वाली योजना हाल ही में शुरू की गई है। कॉस्ट प्लस मार्जिन पर आधारित स्कीम या लघु किसान स्वावलंबन योजना अथवा झारखंड/तेलंगाना मॉडल को टेस्ट बेसिस पर किसानों को राहत देने के लिए पूरे देश में अपनाया जा सकता है। इन सभी स्कीम का फायदा छोटे किसानों को भी होगा, जिससे वे कर्ज के चक्रव्यूह में नहीं फंसेंगे।
मैं मानता हूं कि किसानों की खुशहाली और समृद्धि से ही देश और प्रदेश के विकास का रास्ता खुलेगा। किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह ने भी कहा था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा, जब किसान, मजदूर और गरीब खुशहाल होंगे। हमारे श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी अंत्योदय के उत्थान की बात कहा करते थे।
मेरा मानना है कि विकास का प्रकाश जब तक पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक न पहुंचे, तो वह विकास बेमानी है। इसलिए मेरे जीवन का प्रमुख ध्येय यही है कि हर गरीब, हर किसान समर्थ बने। खुशहाल रहे। उसके जीवन में भी आनंद के अनंत फूल खिलें।
मैं अपने जीवन को तभी सार्थक समझूंगा, जब किसान को उसकी फसल की लागत का कम से कम डेढ़ गुना मिलने लगे और प्रधानमंत्री मोदी जी का 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का सपना पूरा हो। इसके लिए मैंने अपने जीवन के हर पल को समर्पित कर दिया है।
जय किसान, जय मध्यप्रदेश, जय भारत!
आप का अपना,
शिवराज
शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह जमीन से जुड़े हुए नेता हैं और किसानों की जमीनी समस्याओं से वाकिफ हैं। वह अक्सर खेती किसानी के मुद्दों पर लिखते रहते हैं।
#राष्ट्रीय_किसान_दिवस पर अन्नदाताओं की आमदनी बढ़ाने को लेकर मेरे कुछ विचार, जो आपके साथ साझा कर रहा हूं।https://t.co/Y3K82uDH7W
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 23, 2018
Last Updated Dec 23, 2018, 2:52 PM IST