राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत आरोप लगाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल की। अगर उन्होंने पीएम पर निजी आरोप लगाने की बजाए केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया होता तो शायद उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी लाज बचाने का मौका मिल गया होता। 

लेकिन राफेल मुद्दे पर राहुल गांधी ने सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उपर घोटाले के निजी आरोप लगाए। जबकि पूरी दुनिया जानती है कि प्रधानमंत्री और उनके परिवार के लोग साधारण नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करते हैं। 

घोटाला करने वाले तो ‘सैफई के नेताजी मुलायम सिंह’, ‘पटना के साहेब लालू यादव’ और ‘चेन्नई के कलैगनार स्व.करुणानिधि’ की तरह अपनी सात पुश्तों का इंतजाम करते हैं। लेकिन राहुल गांधी इन सबसे आंखें मूंदे रहते हैं क्योंकि यह सब उनके नजदीकी राजनीतिक सहयोगी हैं।  

लेकिन राहुल गांधी ने सादा जीवन जीने वाले पीएम मोदी के उपर घोटाले के आरोप लगाने में सारी मर्यादाओं का उल्लंघन कर दिया। पिछले दिनों होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो उन्होंने लगभग हर रोज पीएम मोदी पर आरोप लगाए। 

वह लगातार यह कहते रहे कि प्रधानमंत्री ने फ्रांस से ज्यादा कीमत पर विमान खरीदे और अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनवाने के लिए दबाव बनाया। 

14 नवंबर 2018 को छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने दावा किया कि राजग सरकार प्रति विमान 1600 करोड़ रूपये की दर से खरीद रही है, जबकि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के समय प्रत्येक लड़ाकू विमान की कीमत 526 करोड़ रूपये तय हुई थी। 

9 नवंबर 2018 को राहुल गांधी ने कहा कि राफेल सौदे से  जनता का तीस हजार करोड़ रुपये घोटाले की भेंट चढ़ गया

2 नवंबर 2018 को राहुल ने आरोप लगाया कि दसॉल्ट ने अनिल अंबानी को जमीन खरीदने के लिए पैसे दिए. ये पूरी तरह से ओपन एंड शट केस है। 

1 नवंबर 2018 को राहुल गांधी ने कहा कि अगर राफेल की जांच शुरू हो जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच नहीं पाएंगे। यह साफ-साफ PM मोदी और अनिल अंबानी की साझीदारी का मामला है। 
25 अक्टूबर 2018 को सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को राफेल डील  से जोड़ते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  ने एक बार फिर पीएम मोदी पर हमला बोला। 

11 अक्टूबर 2018 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि फ्रांस्वा ओलांद के बाद अब अधिकारी का बयान आ गया है कि डील के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस को जोड़ना पड़ा। 

26 सितंबर 2018 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले को लेकर फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 30 हजार करोड़ रुपये का ठेका लेकर एक 'अकुशल' व्यक्ति को देना ही प्रधानमंत्री का 'स्किल इंडिया' कार्यक्रम है। 

7 फरवरी 2018 को राहुल गांधी ने ट्वीट करके एक कविता के जरिए पीएम मोदी पर आरोप लगाया। राहुल ने ट्वीट किया- 'बहुत लंबी थी साहेब की बात, सदन में दिन को बता दिया रात। अपनी नाकामियों पर डाले पर्दे, अफसोस भाषण से गायब थे देश के मुद्दे। प्रधानमंत्री जी चुप्पी कब तोड़ेंगे, राफेल डील पर आखिर कब बोलेंगे। 

राफेल पर राहुल गांधी के आरोपों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। वह पिछले कई महीनों से लगातार प्रधानमंत्री पर निजी आरोप लगाते आ रहे हैं। राहुल गांधी के यह सभी आरोप लगाते समय शायद द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नाजियों की प्रसिद्ध ‘गोयबल्स थ्योरी’ से प्रभावित थे। जिसके मुताबिक एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच लगने लगता है। 

राहुल गांधी ने राफेल मामले पर झूठ का जो जाल फैलाया, उसकी धागे सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में उधेड़ दिया। 

दरअसल राहुल गांधी अतीतजीवी हैं। वह खुद को देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से अपडेट करने की बजाए इतिहास में ही जीते हैं। उनके दिलोदिमाग में बोफोर्स तोप घोटाला और उस दौरान हुई राजनीति की यादें अब तक ताजा हैं। जिसमें घेरकर उनके पिता राजीव गांधी की गद्दी विश्वनाथ प्रताप सिंह ने छीन ली थी। 

राहुल गांधी को लगता था कि बोफोर्स घोटाले की तर्ज पर वह राफेल को भी घोटाला बताकर देश की जनता को भ्रमित कर लेंगे। लेकिन वास्तविक घोटाला और घोटाले के शोर में फर्क होता है। उनके ‘चौकीदार ही ........ है’ के झूठे नारे की पोल खुल चुकी है। 

आज सूचना क्रांति के इस युग में जब दुनिया ग्लोबल विलेज में तब्दील हो गई है। तब किसी भी झूठ को सच साबित करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। आज सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया और राहुल गांधी के झूठ का पुलिंदा खुल गया है। 

देश की जनता इस बात की साक्षी है।