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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो...मुनव्वर राणा के 10 शेर

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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो,

तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..

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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,

मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में मां आई..

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सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं,

हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं..

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सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है,

मगर जब गुप्तगू करता है चिंगारी निकलती है...

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सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर

मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते ...

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एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है

तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना  ...

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किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाधेगा

अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाधेगा ...

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बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात

मेरी ग़रीब आंखों में स्कूल चुभ गया 

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तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते

हमारे गांव  में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं 

 

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