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Holashtak 2025: जानें होलाष्टक के नियम, अशुभता का कारण, बचने के उपाय और शुभ कार्यों पर रोक, होलाष्टक का महत्व और इसके ज्योतिषीय प्रभाव और इन 8 दिनों में क्या करें और क्या न करें।
अष्टमी (चंद्रमा)
नवमी (सूर्य)
दशमी (शनि)
एकादशी (शुक्र)
द्वादशी (बृहस्पति)
त्रयोदशी (बुध)
चतुर्दशी (मंगल)
पूर्णिमा (राहु)
होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है, जिससे शादी, गृह प्रवेश, नामकरण, नया व्यवसाय और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।
भगवान विष्णु, हनुमान और नरसिंह की पूजा करें।
हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
दान-पुण्य और जरूरतमंदों की मदद करें।
धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं।
शादी या कोई मांगलिक कार्य न करें।
संपत्ति या वाहन की खरीद न करें।
नए व्यवसाय की शुरुआत से बचें।
ग्रह प्रवेश और कोई भी नया निर्णय न लें।
आर्थिक समृद्धि: हल्दी, सरसों और गुड़ से हवन करें।
करियर ग्रोथ: कार्यस्थल पर जौ, तिल और चीनी से हवन करें।
संतान प्राप्ति: लड्डू गोपाल की पूजा।
स्वास्थ्य लाभ: महामृत्युंजय मंत्र जप।
होलाष्टक के अंत में होलिका दहन किया जाता है, जो नकारात्मकता के अंत और सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि का प्रतीक है।