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प्रबलगढ़ किले का निर्माण बहमनी सल्तनत के दौरान पनवेल और कल्याण किले की निगरानी के लिए किया गया था।
प्रबलगढ़ का किला 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर है जहां दूर-दूर तक से पहाड़ चट्टान और घना जंगल नजर आता है।
इस किले में ना तो बिजली है ना ही पानी है। शाम होते होते यहां दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता इसलिए सूरज ढलने से पहले लोग यहां से लौट आते हैं।
किले को बसाने वाले राजा ने चट्टानों को काटकर सीढ़ियां बनाई है। जो बेहद खतरनाक और डरावनी है। सीढ़ियों पर ना तो रस्सी है ना रेलिंग है।
बिना रेलिंग की खड़ी सीढ़ियों के कारण जरा सी भी चूक होने पर कोई भी सीधा 2300 फीट नीचे खाई में जा गिरेगा।
इस किले से गिरकर अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है । उसके बावजूद एडवेंचर के शौकीन इस किले पर जरूर जाते हैं।
इस किले का नाम पहले मुरंजन किला था लेकिन छत्रपति शिवाजी ने इसका नाम बदलकर अपनी रानी कलावंती के नाम पर रख दिया।