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मु्ख्तार अंसारी का गुरुवार देर रात कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई। आखिरी वक्त में चाहे वह तिलतिल कर मरा हो लेकिन वक्त था जब सूबे में उसकी तूती बोलती थी।
मुख्तार अंसारी के रसूख का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि आम जनता क्या उसके आगे बड़े-बड़े अधिकारी कांपते थे लेकिन समय का पहिया घूमता जरुर है।
बात उन दिनों की है जब 2005 में कृष्णनंद राय की हत्या के बाद मऊ में हिंसा भड़क उठी थी। मुख्तार ने सरेंडर कर दिया था। उस वक्त वह विधायक था तो उसे गाजीपुर जेल में रखा गया।
मुख्तार के लिए गाजीपुर जेल घर जैसी थी। वहीं पर पूर्वांचल से बिहार तक रेलवे,क्रैप और कोयला के ठेकों कै फैसले देता था मोबाइल का इस्तेमाल तो आमबात थी।
मुख्तार अंसारी जायकेदार खाने का शौकीन था। उसे अलग-अलग तरह के पकवान खाना पसंद था। जेल के अंदर उसका पसंदीदा भोजन बनाया जाता था।
एक बार मुख्तार को ताजी मछली खाने का मन हुआ लेकिन जब उसे ये मिली तो उसने जेल के अंदर तालाब खुदवा डाला था। ऐसे में उसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुख्तार अंसारी के पुलिस स्टेशन के अंदर तालाब खुदवाने की बाद खुद पूर्व DJP बृजलालऔर राज्यसभा सांसद बृजलाल ने भी मानी थी।