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देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। राष्ट्रपति तिरंगा फहराएंगी और परेड का आयोजन होगा लेकिन तिरंगे का इतिहास क्या है और राष्ट्रीय ध्वज पहले कैसा दिखता था ये आप जानते हैं?
1906 में कलकत्ता में पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। झंडे में हरे,पीले और लाल की पट्टी थी। बीच में वंदे मातरम लिखा था। हर रंगे में 8 कमल के फूल बने थे,लाल पट्टी में सूरज-चांद थे।
1907 में नया झंडा प्रस्तावित किया गया जो पेरिस में फहराया गया था। झंडे में केसरिया,हरे और पीले रंग की पट्टियों के बीच वंदे मारतरम् लिखा था। इसमें भी चांद-सूरज संग सितारे बने थे।
1907 के बाद 1917 में फिर नया झंडा लाया गया। जिसे एनी बेसेंट और गंगाधर तिलक ने फहराया। हरे-लाल रंग के त्रिकोणीय आकार झंडे में यूनियन जैक था। चांद-तारे के साथ 7 सितारे भी थे।
1917 के बाद 1921 में राष्ट्रीय ध्वज में बदलाव हुआ। ये झंडा गांधी जी को आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने दिया था। जिसमें हरे-लाल,सफेद रंग के साथ चरखा बना था।
1931 में 5वीं बार राष्ट्रीय ध्वज बदला गया। अब झंडे में केसरिया,सफेद और हरे रंग की पट्टी थी। बीच में चरखा बना था। जिसे इंडियन नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अपनाया था।
आजादी के बाद 1947 की संविधान सभा बैठक में आजाद भारत के नए ध्वज को पहचान मिला। जहां राष्ट्रीय ध्वज में चरखे की जगह नीले रंग के अशोक चक्र ने ले ली।
भारतीय की आन-बान और शान तिरंगा को पिंगली वैंकया ने तैयार किया था। जहां सबसे ऊपर केसरिया बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था। बीचे में नीले रंग का अशोक चक्र बना है।