ना ना - ये परदा नहीं है बल्कि Eid के लिए सेवईं तैयार की जा रही है
lifestyle Apr 08 2024
Author: Kavish Aziz Image Credits:our own
Hindi
ईद की सिग्नेचर डिश सेवईं
चलिए बताते हैं कैसे तैयार होती है सेवईं
Image credits: our own
Hindi
मैदे से बनती है सेवईं
पुराने लखनऊ के बलागंज, मौलवी गंज और अमीनाबाद में सेवईं के कारखाने हैं जहां सेवईं बनने का पूरा प्रोसेस एक दिलचस्प सफ़र रहा। दरअसल सेवईं मैदे से बनती है।
Image credits: our own
Hindi
इस तरह बनती है सेवईं
पहले इस मैदे को अच्छे से छाना जाता है फिर आटे की तरह गूंथा जाता है और फिर इसे मशीन से छाना जाता है। जिसमे ये लम्बे लम्बे आकर में परदे की साइज़ में निकलती हैं,
Image credits: our own
Hindi
धूप में सुखाया जाता है
अब इन सिवइयों को अच्छी तरह से धूप में सुखाया जाता है। ये ध्यान रखा जाता है की सिवईं में ज़रा भी नमी न रहे।
Image credits: our own
Hindi
तैयार होने के बाद उतरती है बाजार में
जब ये सिवईं सूख जाती हैं तो इन्हें तह कर के अख़बार में लपेट कर बाज़ार में बेचने के लिए भेजा जाता है।
Image credits: our own
Hindi
लखनऊ में पूरे साल मिलती है सिवईं
लखनऊ में सिवईं के कई बाजार हैं। कुछ जगहों पर सिर्फ ईद और बकरीद में सिवईं मिलती है लेकिन पुराने लखनऊ में सिवईं पूरे साल मिलती है।
Image credits: our own
Hindi
एक महीने में 2 लाख तक की कमाई
अमीनाबाद में सेवईं बनाने वाले मोहम्मद कहते हैं रमजान का महीना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस एक महीने में हमारी कम से कम 2 लाख तक की कमाई होती है जिससे काफी राहत मिलती है।
Image credits: our own
Hindi
दो तरह की होती है सेवईं
मोहम्मद ने बताया की सेवईं दो तरह की होती है, सादी सेवईं और बनारसी सेवईं बनारसी सेवईं लच्छे दार होती है जबकि सादी सेवईं सीधी परदे जैसी होती है।