मां के साथ मजदूरी, बेची चाय-सब्जी...भारत को दिलाया 1st पैरालंपिक गोल्ड
Image credits: Instagram
जूडो में दिलाया पहला पैरालंपिक पदक
देश को जूडो में पहला पैरालंपिक पदक दिलाने वाले कपिल परमार 80 प्रतिशत दृष्टिबाधित हैं।
Image credits: Instagram
आंख की रोशनी जाने के बाद मां के साथ मजदूरी
कपिल आंखों की रोशनी जाने के बाद मां के साथ मजदूरी करते थे। मां दूसरे के खेतों में गेहूं काटती थी और वह उसका हाथ बंटाते थे।
Image credits: Instagram
पिता ने छोड़ दी थी जिंदगी की उम्मीद
पानी के पंप से करंट लगने के बाद वह 6 महीने तक कोमा की स्थिति में थे। पिता ने उनके जीवित बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। पर मां ने हिम्मत नहीं हारी और उनकी सेवा करती रहीं।
Image credits: Instagram
घर चलाने को किया ये काम
कपिल ने घर चलाने के लिए चाय बेची, सब्जी का का ठेला भी लगाया।
Image credits: Instagram
जूडो शुरू किया तो गांव वाले देने लगे ताने
कपिल ने जब जूडो शुरू किया तो गांव वाले ताने मारने लगे कि वह कैसे खेलेगा, पर उन्होंने अपना गेम जारी रखा।
Image credits: Instagram
...तब होती थी सबसे ज्यादा तकलीफ
कपिल को सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती थी। जब वह राष्ट्रमंडल चैंपियन बन गए, पर कोई उन्हें अपनी एकेडमी में नही रखना चाहता था। सबको लगता था कहीं चोट लगने के बाद यह गले न पड़ जाए।
Image credits: Instagram
गुरु ने समझा दर्द
जूडो कोच मुनव्वर अंजार ने उनका दर्द समझा। उन्होंने ब्लाइंड जूडो पैरा एसोसिएशन का गठन किया। उन्हीं से ट्रेनिंग लेकर कपिल ने पैरालंपिक में गोल्ड जीता।