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नाॅर्वे शतरंज टूर्नामेंट में विश्व के नंबर 1 व नंबर 2 खिलाड़ी को हराकर शतरंज की दुनिया को चौंकाने वाले भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंदधा के बारे में क्या आप जानते हैं।
भारत के इस 18 वर्षीय चेस ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानंदधा का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। प्रज्ञानंदधा के पोलियाग्रस्त पिता रमेशबाबू TNSC बैंक कर्मचारी हैं।
रमेशबाबू प्रज्ञानंदधा की मां नागलक्ष्मी एक कुशल गृहिणी हैं, जो अक्सर उनके साथ दिखती हैं। चेन्नई के वेलाम्मल मेन कैंपस से पढ़ाई की है।
मिडिल क्लास फेमिली से तालुक रखने वाले प्रज्ञानंदधा महज 3 साल की उम्र में ही अपनी बहन आर वैशली के साथ शतरंज खेलने लगे थे। इसके पीछे एक खास वजह थी।
पिता रमेश बाबू के मुताबिक उनकी बेटी और फिर बेटा टीवी पर कार्टून बहुत देखते थे। कार्टून देखना बंद कराने के लिए उन्होंने पहले बेटी को शतरंज खेलने के लिए प्रेरित किया।
बेटी आर वैशाली ने ही अपने भाई प्रज्ञानंदधा को साथ में खिलाना शुरू कर दिया, उसे क्या मालूम की उसका ये छोटा भाई आने वाले दिनों में नए नए विश्व रिकार्ड बनाएगा।
विश्व के टॉप टेन में 02 जून 2024 को शामिल हो चुके प्रज्ञानंदधा की बड़ी बहन आर वैशाली एक निपुण महिला ग्रैंडमास्टर और इंटरनेशनल चेस मास्टर हैं।
प्रज्ञानंदधा ने 2013 में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप अंडर-8 का खिताब जीता, जिससे उन्हें फिडे मास्टर का खिताब मिला। उन्होंने 2015 में अंडर-10 का खिताब भी जीता।
2016 में 10 साल 10 महीने और 19 दिन की उम्र में प्रज्ञानंदधा इतिहास के सबसे कम उम्र वाले शतरंज के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बन गए।
23 जून 2018 को वे इटली के उर्टिजी में ग्रेडाइन ओपन में 8वें राउंड में लुका मोरोनी को हराकर अपना तीसरा और अंतिम मानदंड हासिल करके 12 साल 10 महीने 13 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर गए।