बलवंत पारेख ने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से पढ़ाई की। पर वकालत से जुड़ा काम नहीं किया।
बलवंत पारेख महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल हुए। फिर मुंबई आकर लॉ की पढ़ाई पूरी की।
बलवंत पारेख की कम उम्र में शादी हो गई तो जिम्मेदारियों का बोझ आ गया। एक लकड़ी व्यापारी के यहां चपरासी की नौकरी की।
बलवंत पारेख की बेसिक जरुरतें पूरी नहीं हईं तो प्रिंटिंग प्रेस में भी काम किया।
बलवंत पारेख ने एक निवेशक की मदद से पश्चिमी देशों से कुछ चीजें आयात कर कारोबार शुरु कर दिया।
जर्मनी की एक कंपनी Hoechst का देश में फेडको प्रतिनिधित्व करती थी। बलवंत पारेख ने उस कंपनी के साथ 50 फीसदी की साझेदारी कर ली।
साल 1954 में Hoechst के आमंत्रण पर बलवंत पारेख को जर्मनी जाने का मौका मिला।
कम्पनी के एमडी की मौत के बाद बलवंत पारेख ने अपने भाई के साथ मिलकर पिगमेंट एमल्शंस यूनिट शुरु कर दी।
बलवंत पारेख ने साल 1959 में फेविकोल का बाजार में लॉन्च कर दिया। साल 1959 में कंपनी का नाम पिडिलाइट इंडस्ट्रीज हो गया।
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