जर्नलिस्ट से कैसे बनीं IPS,  ये है प्रीति चंद्रा की सफलता की कहानी
Hindi

जर्नलिस्ट से कैसे बनीं IPS, ये है प्रीति चंद्रा की सफलता की कहानी

राजस्थान के सीकर जिले की हैं प्रीति चंद्रा
Hindi

राजस्थान के सीकर जिले की हैं प्रीति चंद्रा

प्रीति चंद्रा का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के कुंदन गांव में हुआ था। 

Image credits: Facebook
गांव के सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई
Hindi

गांव के सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई

प्रीति चंद्रा ने गांव के ही सरकारी स्कूल से 10वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने सीकर के मारू विद्यालय से 12वीं पास की।  

Image credits: Facebook
जिंदगी में कुछ बड़ा करने का था सपना
Hindi

जिंदगी में कुछ बड़ा करने का था सपना

आईपीएस प्रीति चंद्रा का जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना था। इसलिए पत्रकार बनने का विचार आया। 

Image credits: Facebook
Hindi

जयपुर से शुरु की पत्रकारिता

प्रीति चंद्रा ने जयपुर के महारानी कॉलजे से एमए पास किया। बीएड की डिग्री लेने के बाद जयपुर से पत्रकारिता शुरु की। 

Image credits: Facebook
Hindi

पत्रकारिता के दौरान यूपीएससी की तैयारी

प्रीति चंद्रा ने पत्रकारिता के दौरान ही साल 2008 में यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी। 

Image credits: Facebook
Hindi

पहले प्रयास में बिना कोचिंग के बनीं आईपीएस

प्रीति चंद्रा ने यूपीएससी के पहले ही प्रयास में बिना कोचिंग के 255वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बनीं।

Image credits: Facebook
Hindi

पति विकास पाठक भी हैं आईपीएस

प्रीति चंद्रा के पति विकास पाठक भी आईपीएस हैं। दोनों की एक दूसरे से मुलाकात ट्रेनिंग के दौरान LBSNAA में हुई थी। 

Image credits: Facebook
Hindi

प्रीति चंद्रा का अपराधियों में ऐसा था खौफ

आईपीएस प्रीति चंद्रा का अपराधियों के बीच ऐसा खौफ था कि उनका नाम सुनते ही बड़े—बड़े डकैत भी सरेंडर कर देते थे।

Image credits: Facebook
Hindi

पोस्टिंग होते ही थर-थर कांपने लगते थे अपराधी

लेडी सिंघम के नाम से मशहूर आईपीएस प्रीति चंद्रा की पोस्टिंग की खबर सुनते ही अपराधी थर-थर कांपने लगते थे। 

Image credits: Facebook

जॉब छोड़ी,डोमेस्टिक वायलेंस सहा,Single Mom है शहर की टॉप मेकअप आर्टिस्ट

टूटते रिश्ते को सबीहा ने दिया सेकेंड चांस, आज हैं कामयाब सेक्स कोच

मुंबई की सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए शंखनाद, देखिए अनोखा अभियान

एमिटी यूनिवर्सिटी सफलता की कहानीः NGO से शुरु, अब 12 देशों में कैंपस