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यूपीएससी एग्जाम में हर साल लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स शामिल होते हैं। पर उनमें से एक फीसदी से भी कम लोगों को सेलेक्शन होता है।
संघर्षों में तपकर आगे बढ़ने वाले एस्पिरेंट्स दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। कई बार तो यह संघर्ष काफी लंबा हो जाता है। आइए जानते हैं ऐसी ही 5 संघर्ष की कहानियां
यूपी के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी ने एक हाथ और तीन उंगलियों के दम पर यूपीएससी एग्जाम क्रैक किया। ट्रेन हादस में अपने पैर गंवा दिए थे।
बिहार के बक्सर की रहने वाली गरिमा लोहिया ने लॉकडाउन में यूपीएससी प्रिपरेशन की। दूसरे प्रयास में देश में दूसरा स्थान मिला। 8 साल पहले पिता का देहांत हो गया था।
दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल राम भजन ने यूपीएससी 2022 में 667वीं रैंक लाकर इतिहास रच दिया। नौकरी करने के साथ तैयारी की।
यूपी के बस्ती जिले के रहने वाले बजरंग यादव ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए आईएएस बनने की ठानी। यूपीएससी 2022 में 454वीं रैंक मिली।
अविनाश कुमार वेस्ट बंगाल की बिजली परियोजना में नौकरी करते थे। किसान परिवार से होने के बावजूद बड़ा रिस्क लिया। नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी की। तीसरे प्रयास में सफल हुए।