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बिहार के गया के रहने वाले रुद्र प्रताप सिंह ने अपनी योग साधना के बूते महज 12 साल की उम्र में जो मुकाम हासिल किया है, उसे जानकर पुरा विश्व अचंभित हो उठेगा।
इंटरनेशनल टूरिस्ट प्लेस बोधगया के 12 वर्षीय के रुद्र प्रताप सिंह ने इतनी कम उम्र में ही 150 योगासन कर लेते हैं। योग साधना के बल पर ये अपना पूरा शरीर रबर की तरह मरोड़ लेते हैं।
गया में वैसे तो योगसाधना के लिए भगवान बुद्ध की धरती पूर्व विश्व में चर्चित हैं लेकिन जिस उम्र में बच्चे मां के आंचल छिपे रहते है, उस उम्र में ये बच्चा योगासाधना का पुजारी बन गया।
राष्ट्रीय स्तर पर योग साधना के लिए कई मेडल प्राप्त कर चुके रुद्र महज 8 वर्ष की उम्र से ही योग के कई कठिन आसनों करके दुनियां भर में अपनी उपलब्धी का झंडा बुलंद कर रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से शुरू होने वाली योग साधना मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, विपरीत नौकासन, मयूरासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन समेत 150 से ज्यादा आसनो को पूरा करके ही खत्म होती है।
प्राइवेट स्कूल के टीचर पिता राकेश ने बताया कि रुद्र को योग की ट्रेनिंग कहीं से नहीं मिली। उन्होंने खुद ही बेटे को योग साधक बनाया है। रुद्र ने कई योगासन सोशल मिडिया से सीखा है।
योग और स्केटिंग में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर राष्ट्रीय स्तर के कई मेडल जीत चुका है। आठ वर्ष के आयुवर्ग की प्रतियोगिता में रुद्र राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर रुद्र ने योगा के जरिए विश्व को स्वस्थ रहने का संदेश दिया है। रुद्र का कहना है कि सभी लोगों को योगाभ्यास करना चाहिए।
रुद्र का सपना है कि वह योगसाधाना के जरिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते, ताकि दुनियां को पात चले कि योग साधना स्वस्थ्य शरीर के लिए कितना जरूरी है।
रुद्र प्रताप सिंह आज भी अपना सपना पूरा करने के लिए नियमित योगाभ्यास और स्केटिंग करते हैं। रुद्र को गया को योग गुरु बाबा रामदेव कहा जाता है।