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हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कईं स्तुतियों और मंत्रों की रचना की गई है। इनका पाठ करने से हनुमानजी भक्तों की हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी कर देते हैं।
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए बजरंग बाण का पाठ भी किया जाता है, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
बजंरग बाण का पाठ न करने के पीछे तर्क ये है कि इस स्तुति की कुछ पंक्तियों में हनुमानजी पर अनावश्यक दबाव डाला गया है, जो कि सही नहीं है।
बजरंग बाण में कईं बार हनुमानजी को शपथ दी गई है कि अगर आपने हमारी इच्छा पूरी नहीं की तो आपको भगवान श्रीराम की कसम है।
1.जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
2. उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
इस तरह बजरंग बाण में हनुमानजी पर अनावश्यक दवाब डाला गया है।
विद्वानों का मानना है कि किसी भी देवी-देवता पर यदि कोई कामना पूरी करने के लिए अनावश्यक दवाब डाला जाता है तो बाद में इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है।
अगर आप भी बजरंग बाण का पाठ कर अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं तो इसके पहले किसी योग्य विद्वान से सलाह जरूर लें।