श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर तक

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श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर तक

श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक रहेगा। हिंदू धर्म में जीवित व्यक्ति के पिंडदान की भी परंपरा है। ये परंपरा गया के एक मंदिर में ही निभाई जाती है। जानिए कौन-सा है ये मंदिर… 
 

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<p>बिहार के गया में भगवान जनार्दन का मंदिर है। यहां कोई भी जीवित व्यक्ति अपना स्वयं का पिंड दान और श्राद्ध कर सकता है। यहां के अलावा और कहीं भी इस तरह की परंपरा नहीं है।</p>

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यहां कर सकते हैं जीवित व्यक्ति का श्राद्ध

बिहार के गया में भगवान जनार्दन का मंदिर है। यहां कोई भी जीवित व्यक्ति अपना स्वयं का पिंड दान और श्राद्ध कर सकता है। यहां के अलावा और कहीं भी इस तरह की परंपरा नहीं है।

 

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<p>किसी व्यक्ति को लगता है कि मृत्यु के बाद कोई भी उसके लिए पिंडदान नहीं करेगा तो वह यहां आकर स्वयं का श्राद्ध कर सकता है। मान्यता है कि इससे मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।<br />
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क्यों करते हैं स्वयं का पिंडदान?

किसी व्यक्ति को लगता है कि मृत्यु के बाद कोई भी उसके लिए पिंडदान नहीं करेगा तो वह यहां आकर स्वयं का श्राद्ध कर सकता है। मान्यता है कि इससे मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।
 

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<p>मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में स्वयं जीवित व्यक्ति का पिंड ग्रहण करते हैं। इससे पिंडदान करने वाले को मरने के बाद मोक्ष मिलता है।</p>

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ये है मान्यता

मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में स्वयं जीवित व्यक्ति का पिंड ग्रहण करते हैं। इससे पिंडदान करने वाले को मरने के बाद मोक्ष मिलता है।

 

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एक मात्र है ये मंदिर

गया श्राद्ध कर्म के लिए श्रेष्ठ है, यहां 10 से अधिक तर्पण स्थल हैं। लेकिन पूरे विश्व में जनार्दन मंदिर एक मात्र ऐसा स्थल है, जहां आत्म श्राद्ध यानी जीते जी खुद का पिंडदान करते हैं। 
 

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