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‘राक्षस गण’ यह शब्द जीवन में कई बार सुनने में आता है। ये शब्द ज्योतिष से जुड़ा हुआ है। बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में पता होता है कि इस शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है।
‘राक्षस गण’ से जुड़ी कई मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित है। कुछ लोगों का मानना है कि राक्षस गण में जन्में लोगों को भूत-प्रेत जैसी निगेटिव शक्तियों का अहसास तुरंत हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के आधार पर तीन गण बनाए गए हैं, ये हैं- मनुष्य, देव व राक्षस गण। जो व्यक्ति जिस नक्षत्र में जन्म लेता है, उसी के आधार पर उसका गण तय किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कृत्तिका, अश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा, इन 9 नक्षत्रों में जो भी व्यक्ति जन्म लेता है, उसे राक्षण गण का कहा जाता है।
राक्षस गण वाले लोगों में एक नैसर्गिक गुण होता है। वो ये है कि इन लोगों को अपने आस-पास मौजूद नकरात्मक शक्ति जैसे भूत-प्रेत आदि का तुरंत अहसास हो जाता है।
राक्षस गण में जन्में लोगों को कई बार इन भूत-प्रेत दिखाई भी देते हैं, लेकिन इसी गण के प्रभाव से इनमें इतनी क्षमता भी आ जाती है कि वे इन शक्तियों से जल्दी भयभीत नहीं होते।
राक्षस गण वाले लोग साहसी भी होते हैं तथा विपरीत परिस्थिति में भी घबराते नहीं हैं। यही कारण है कि जब भी कभी उन्हें निगेटिव एनर्जी का अहसास होता है तो ये परेशान नहीं होते।