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किसान नेता चौधरी चरण सिंह को केंद्र सरकार ने आज भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया पीएम मोदी ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की।
चौधरी चरण भारत के 5वें प्रधानमंत्री थे उनका जन्म हापुड़ में 1902 को और निधन 1987 में हुआ था। पीएम रहते हुए उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक कार्यभार संभाला।
चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता था। बताया जाता है उन्होंने कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया। किसानों के लिए वह तत्कालीन पीएम नेहरू के विरोध में खड़े हो गए थे।
बताया जाता है 1959 में नागपुर के अधिवेशन में नेहरू कोऑपरेटिव फार्मिंग को लागू करना चाहते थे चौधरी साहब खिलाफ थे। उन्होंने इसे किसान विरोधी बताया था यहां तक ये लागू भी नहीं हुआ था।
चौधरी साहब हमेशा जमीन से जुड़े नेता रहे हैं बताया जाता है उनके पास गाड़ी नहीं थी इसलिए कहीं भी पैदल जाते थे उन्होंने अपने जीवनकाल मे आगामी पीढियों के लिए नए आयाम भी स्थापित किए।
कई जगह जिक्र है मुख्यमंत्री बनने के बाद वे मॉल एवेन्यू स्थित बंगले में रहते थे लेकिन इसके बाद भी वे टेलीफोन और गाड़ी से आने जाने के खर्चे का बिल अपने निजी खाते से देते थे।
CM बनने के बाद चौधरी साहब को निजी कार्यक्रम में जाना था उन्होंने जेब से नोट निकाल कर ड्राइवर को दिया और कहा पेट्रोल डलवा लो मेरा निजी कार्यक्रम है सो पेट्रोल का खर्चा मैं दूंगा।
चौधरी चरण सिंह देश की सियासत में बड़ा नाम है। हर राजनीतिक दल उन्हें नमन करता है वह दो बार मुख्यमंत्री और एक बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं।
चौधरी चरण सिंह के व्यक्तित्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है लंबी राजनीतिक जीवन और प्रधानमंत्री पद पर रहने के बावजूद निधन के समय पर उनके खाते में केवल 470 रुपए थे।