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सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। कहा कि वह कानून की व्याख्या कर सकता है लेकिन उसे लागू नहीं कर सकता। कानून में बदलाव करना संसद का काम है।
CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से समलैंगिक लोगों के अधिकारों और पात्रता की जांच के लिए कमेटी का गठन करने के लिए कहा है।
समलैंगिकों के राशन कार्ड, बैंक अकाउंट, टैक्स, पेंशन जैसे सामाजिक लाभ के बारे में कमेटी तय करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वह इस बात का ध्यान रखे कि समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का कोई भेदभाव न होा।
केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिक सुमदाय के लिए सेफ हाउस,डॉक्टर ट्रीटमेंट और हेल्पलाइन नंबर जारी करने को कहा है जिस पर वे शिकायत दर्ज करा सकें।
कोर्ट ने कहा कि समुदाय के साथ भेदभाव न हो ये हमारा कर्तव्य है। पुलिस उन्हें परेशान ना करें और अगर वे घर नहीं जाना चाहते हैं तो उन्हें जबरदस्ती घर न भेजा जाए।
कोर्ट ने सरकार से कहा कि आम जनता को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जागरूक करें। समुदयाय के लिए हॉलटाइन और सेफ हाउस बनाएं।
कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह सुनिश्चित करे कि सैंगलैंगिक बच्चों को ऑपरेशन और हॉर्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर न किया जाए।