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रूस और भारत की दोस्ती कई दशकों से चली आ रही है। अब ये दोस्ती स्पेस में दिखेगी। जहां चंद्रयान-3 को टक्कर देने के लिए रुस 11 अगस्त को अपना मिशन लूना-25 लॉन्च करने के लिए तैयार है।
रूस ने बीते कई सालों से अंतरिक्ष में कोई कमाल नहीं दिखाया है लेकिन 50 साल बाद अब रुस चांद पर जाने के लिए बिल्कुल तैयार है।
हर किसी के मन में बस यही सवाल आ रहा है कि चंद्रयान-3 या फिर लूना-25 चांद के रास्ते पर बाजी कौन मारेगा और किसके कदम चंद्रमा के सबसे मुश्किल हिस्से दक्षिणी ध्रुव पर पहले पड़ेंगे?
रूस का ये मिशन तब लॉन्च किया जा रहा है। जब चंद्रयान-3 चांद पर लैंडिंग से कुछ दूरी पर होगा। ऐसे में सवाल है कि चांद की सतह पर लूना-25 की समयसीमा क्या चंद्रयान-3 से मैच होगी?
इसरो का कहना है कि चंद्रयान बुधवार को चांद की सतह के करीब पहुंच गया है। इसरो का चंद्रयान -3 की कक्षा 174 किमी x 1437 किमी तक कम हो गई है। अब 14 अगस्त को एक पड़ाव होगा।
लूना-25 को चांद पर चार हफ्ते का समय लगेगा। चंद्रयान-3 23 अगस्त को साउथ पोल पर लैंडिंग कर सकता है। लूना-25 लैंडिंग से पहले चांद की कक्षा में 5-7 दिन बिताएगा।
लूना-25 और चंद्रयान-3 एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे। दोनों की लैंडिंग की अलग-अलग योजना है। इसलिए दोनों मिशन को कोई खतरा नहीं है। चांद पर दोनों के लिए पर्याप्त जगह है।
चांद का साउथ पोल पर लैंडिंग का काम बेहद मुश्किल है। हालांकि ये रहस्यों से भरा हुआ है। वैज्ञानिकों का मानना है यहां पर महत्वपूर्ण मात्रा में बर्फ भी हो सकती है।
रिपोर्ट्स की मानें तो चंद्रयान-3 दो हफ्ते तक प्रयोग करेगा। लूना-25 एक साल के लिए वहां रुकेगा। दोनों मिशन चांद के रहस्यों के बारे में पता करेंगे।