News
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक कॅरियर में बार-बार पाला बदला है। विरोधी उन्हें कुर्सी कुमार, पलूट राम और मौसम वैज्ञानिक तक कहते हैं।
बिहार को लालू-राबड़ी के मोहपाश से बाहर निकालकर लाए। राजद के एमवाई समीकरण और लोजपा के दलित कार्ड को भी मात दी।
बिहार में कहा जाता है कि कुर्सी कुमार हर बार अपनी अति महत्वाकांक्षा के लिए नया दांव खेलते हैं।
नीतीश कुमार 1985 में विधायक बने। 1989 में बाढ़ सीट से एमपी बने। वह समय था, जब नीतीश खुद को लालू प्रसाद यादव का छोटा भाई बताते थे।
फिर नीतीश कुमार ने लालू यादव को आगे बढ़ता देख जनता दल से नाता तोड़ा और जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई।
नीतीश कुमार ने 1998 में बीजेपी का दामन थामा। वाजपेयी सरकार में मंत्री बनने के बाद साल 2000 में कुछ समय के लिए बिहार के सीएम बने।
नीतीश कुमार केंद्र में रेल मंत्री भी रहें। आने वाले समय में समता पार्टी का जदयू में विलय कराया।
नीतीश कुमार ने साल 2013 में राजग से नाता तोड़ लिया। उन्होंने तब होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने का विरोध किया था।
नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में करारी हार मिली। फिर 2015 में राजद के साथ हाथ मिलाकर जीत हासिल की।
नीतीश कुमार ने एक बार फिर 2017 में राजग का दामन थामा। बीजेपी के सपोर्ट से बिहार के सीएम बने। उन चुनावो में राजद के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था।
नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और 2022 में राजद से हाथ मिलाया। राजद के साथ कांग्रेस के सहयोग से फिर सीएम बने।
नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर बीजेपी का दामन थामने की तैयारी मे हैं।