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दिल्ली हाईकोर्ट ने छेड़खानी के एक आरोपी को कुछ अलग तरह की सजा सुनाई है। जिससे दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की चौतरफा वाहवाही हो रही है। कोर्ट ने आरोपी को आगाह भी किया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते के बाद एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी व्यक्ति पर 354, 506 और 509 IPC के तहत दर्ज FIR को रद्द कर दिया।
आपसी सुलह के तहत आरोपी व्यक्ति को उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि वह अगले 30 दिन तक आरोपी ट्रैफिक सिग्नल की निगरानी में रहेगा। यही उसकी सजा है।
कोर्ट ने कहा कि अगर वह ये आदेश नहीं मानता तो उसके खिलाफ अदालती कार्रवाई होगी। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने हाल ही में हुए समझौते की सूचना मिलने के बाद ये आदेश दिया।
कोर्ट ने कि पीड़िता ने बयान में कहा है कि वह अपनी शिकायत आगे नहीं बढ़ाना चाहती, इसलिए दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया, को ध्यान में रखते हुए इस FIR को रद्द किया जाता है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि मुझे लगता है कि वर्तमान FIR से दोनों पक्षों के बीच और अधिक कटुता पैदा होगी और राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित शिकायतकर्ता ने समझौते की पुष्टि की। जिसमें उसने कहा कि वह बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से सुलह की है।
न्यायमूर्ति चावला ने आदेश दिया कि 30 दिनों तक ट्रैफिक सिग्नल पर ट्रैफिक पुलिस की सहायता करने के बाद आरोपी को DCP ट्रैफिक एक प्रमाण पत्र जारी करेंगे।
आरोपी याचिकाकर्ता को 60 दिन के अंदर इसी न्यायालय के समक्ष उस प्रमाण पत्र को दाखिल करना होगा अन्यथा की दशा में कोर्ट कानूनी कार्रवाई करेगी।