यूं तो देवभूमि भारत का कण-कण शंकर है। यहां का हर स्थल पूज्यनीय और दर्शनीय है, लेकिन कुछ ऐसे आध्यात्मिक केंद्र भी हैं, जिनकी चमत्कारिक छवि दुश्मनों तक को हैरान कर देने वाली रही है।
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मुगल शासकों ने कई बार किया लूटने का प्रयास
इन्हीं में से एक बिहार के बक्सर जिले से करीब 16 किमी. दूर स्थित बिहारी जी का मंदिर है। इस मंदिर को तोड़ने और लूटने का कई बार कुत्सित प्रयास मुगल शासकों ने किया।
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मंदिर के चमत्कार के आगे नहीं टिक पाए मुगल लुटेरे
कहते हैं कि राधा मोहन कृष्ण की चमत्कारिक छवि के आगे सभी मुगल शासकों न केवल मान मर्दन हुआ, बल्कि इस मंदिर से सभी लुटेरे मुगल उल्टे पांव लौट भी गए।
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यहां भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां बजाते थे शहनाई
1835 में इसका निमार्ण डुमरांव के तत्कालीन महाराजा बहादुर जय प्रकाश सिंह ने कहराया था। यहां पर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां और उनके पिता शहनाई बजाते थे।
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दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना
बिहारी जी मंदिर में दर्शन के बाद सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसकी लोग गारंटी देते हैं। इसकी महिमा इतनी अपार है कि लोग दूर-दूर दर्शन करने आते हैं।
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प्रतिदिन होती है 5 पहर की आरती
इस मंदिर में यूं तो सभी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं लेकिन प्रमुख रूप से श्रीकृष्ण भगवान की पूजा होती है। यहां पर 5 पहर की आरती होती है।
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जाे नहीं जा पा रहे वृंदावन उनके लिए ये मंदिर है सुविधाजनक
इसके बारे में कहा जाता है कि जो लोग मथुरा वृंदावन नहीं जा पा रहे हैं, वो बिहारी जी के इस मंदिर के दर्शन कर लें। दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूरी होती है।