Spirituality
दिवाली में एक तरफ जहां मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है तो वहीं आधी रात में मां काली की पूजा की जाती है। इस बार मां काली पूजा का शुभ मुहूर्त रात 10:55 से लेकर 11:45 तक रहेगा।
दिवाली की अमावस्या वाली रात तांत्रिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। वह इस दिन तंत्र-मंत्र की देवी मां काली को प्रसन्न करने के लिए तप करते हैं।
एक तरफ जहां लोग दिवाली की खुशियां मना रहे होते हैं तो वहीं तांत्रिक भक्तों के लिए यह रात एक भयावह होती है जब मां काली कठिन साधना और तप की परीक्षा लेती है।
पश्चिम बंगाल,उड़ीसा, असम में आधी रात को मां काली की पूजा होती है वही कोरबा में दिवाली की रात विशेष अनुष्ठान किया जाता है।
राक्षसों का वध करने के बाद महाकाली शांत नहीं हुईं तो भगवान शिव उनके चरणों में लेट गए थे जिसके बाद उनका क्रोध समाप्त हो गया। यही से मां लक्ष्मी और मां काली की पूजा शुरूआत हुई।
दिवाली पर एक तो सामान्य पूजा होती है जिसे कोई भी कर सकता है। आप 108 गुलहड़ के फूल, 108 बेलपत्र,108 मिट्टी के दीपक मां काली को चढ़ाए।
पूजा के बाद आप मन को मौसमी फल मिठाई खिचड़ी तली हुई सब्जी और तमाम व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। ऐसा करने से आपको दुखों से तुरंत छुटकारा मिल जाएगा।
ज्यादातर जगहों पर दिवाली के दिन तंत्र साधना के लिए तांत्रिक मां काली की उपासना करते हैं। तांत्रिकों के लिए यह दिन खास होता है वह तप से मां काली को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं ।