Spirituality
हिंदू धर्म के अंतर्गत समय-समय पर कईं सामूहिक धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। इन आयोजनों के बाद भंडारे का आयोजन भी होता है। भंडारे में कोई भी व्यक्ति भोजन कर सकता है।
वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के अनुसार, गृहस्थ लोगों को यानी जो लोग विवाहित हैं और नौकरी-व्यापार करते हैं, उन्हें भंडारे में भोजन नहीं करना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भंडारे का आयोजन उन लोगों के लिए होता है जो संत हैं या जो लोग किसी भी तरह से अपना भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं होते।
जो लोग नौकरी-बिजनेस करके अपना भरण-पोषण करने में समर्थ हैं, उन्हें भंडारे में भोजन करने से बचना चाहिए, ऐसा करने से उनके पुण्य कर्म कम हो जाते हैं।
भंडारे का भोजन लोगों द्वारा दिए गए दान से तैयार किया जाता है और हिंदू धर्म में गृहस्थ लोगों को किसी से दान लेना निषेध माना गया है।
अगर कोई गृहस्थ भंडारे में भोजन कर ले तो उसे अपनी इच्छा अनुसार, उस भंडारे में कुछ न कुछ पैसों, अनाज या अन्य किसी चीज का दान अवश्य करना चाहिए।