Spirituality
धर्म ग्रंथों के अनुसार, काल भैरव भी भगवान शिव के प्रमुख अवतारों में से एक है। कालभैरव की उत्पत्ति शिवजी के क्रोध से हुई थी, इसलिए इन्हें अत्यंत क्रोधी स्वभाव का माना जाता है।
अगहन कृष्ण अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते ये पर्व कब मनाएं, इस पर कन्फ्यूजन बना हुआ है। आगे जानें सही डेट…
पंचांग के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 04 दिसंबर, सोमवार की रात 09:59 से 5 दिसंबर, मंगलवार की रात 12:37 तक रहेगी। इस तरह ये तिथि 2 दिन रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का सूर्योदय 5 दिसंबर, मंगलवार को होगा, इसलिए ये पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।
ग्रंथों के अनुसार, कालभैरव ने ही ब्रह्मा का पांचवां मस्तक काटा था, जिसके कारण उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगा। काशी में आकर ब्रह्मदेव को इस पाप से मुक्ति मिली।
भगवान कालभैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। मान्यता है कि बिना कालभैरव के दर्शन काशी यात्रा का फल नहीं मिलता। काशी में कालभैरव का प्रसिद्ध मंदिर भी है।