Spirituality
मिट्टी के घरौंदा के बिना दिवाली पूरी नहीं होती। भले शहर में ये रिवाज खत्म हो गया हो लेकिन गांवों में आज भी ये रिवाज लागू हैं।
मान्यता है,घर की बेटियां लक्ष्मी का रूप होती हैं और वही केवल मिट्टी का घरौंदा तैयार कर सकती हैं ताकि दिवाली रात्रि में माता लक्ष्मी और गणेश जी आराम कर सकें।
लक्ष्मी-गणेश जी के लिए दिवाली की रात ठहरने के लिए घरौंदा बनाया जाता है। इसका मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
दिवाली पर घर की साफ-सफाई करने का रिवाज है, उसी तरह घरौंदे को भी अच्छी तरह सजाएं ताकि दिवाली पर भगवान प्रसन्न हो सकें।
माना जाता है, अगर आप घरौंदे में लक्ष्मी-गणेश पूजन कर रहे हैं तो भोग इलायची का लगाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धनवर्षा होती है।
मिट्टी के घरौंदे के बाहर रंगौली बनाएं और उसे दीयो और लाइटों से सजाएं। ऐसा करने से साल भर आपके घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
कहा जाता है, जिस दिन भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे, उस दिन अयोध्यावासियों ने घरौंदा बनाकर भगवान राम को आमंत्रित किया था, तभी ये मिट्टी का घरौंदा बनाने की प्रथा चली आ रही है।