सनातन धर्म में माता सीता पवित्रता की सबसे बड़ी उदाहरण हैं। रामायण में उनकी प्रमुख भूमिका लोगों को प्रेरित करती है।
माता सीता का चरित्र लोगों को प्रेरणा देता है। भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा और सम्मान आज भी लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है।
सनातन धर्म में माता सीता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
वाल्मिकी रामायण के मुताबिक, माता सीता का विवाह बाल्यावस्था में हुआ था। तब उनकी उम्र सिर्फ 6 साल थी।
माता सीता विवाह के बाद 12 साल की उम्र तक अपने पिता राजा जनक के घर रहीं।
माता सीता जब भगवान राम के साथ वनवास पर निकली थीं। तब उनकी उम्र महज 18 साल थी।
माता सीता एक बार अपने ससुराल अयोध्या आईं तो उसके बाद वह कभी भी अपने मायके जनकपुर नहीं लौटीं।
माता सीता को राजा जनक ने भी वनवास जाते समय जनकपुर चलने की सलाह दी थी।
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