हिमाचल प्रदेश की दवा कंपनियों में बनी 38 दवाओं के सैंपल फेल हो गए हैं। इनमें बुखार, बीपी, दमा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं भी शामिल हैं।
उनमें बुखार की बायोसिटामोल, मिर्गी की डिवालप्रोक्स, बीपी की टारविग्रेस, दमा की मोंटीलुकास्ट, उल्टी की स्टेमेरिल, और कैंसर की लिपोसोमल जैसी दवाएं शामिल हैं।
अब सवाल उठता है, हम कैसे पहचानें कि कौन सी दवा असली है और कौन सी नकली या खराब? आइए जानते हैं इस बारे में।
अगर दवा के पैकेट पर स्पेलिंग मिस्टेक्स, फेडेड कलर्स या असामान्य फॉन्ट्स हों, तो यह नकली दवा का संकेत हो सकता है। साथ ही, बैच नंबर और बारकोड को ऑनलाइन वेरिफाई करें।
हर दवा पर मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और एमआरपी साफ-साफ लिखी होनी चाहिए। यदि इनमें से कोई जानकारी गायब हो, तो सतर्क हो जाएं।
दवा का रंग, आकार और टेक्सचर अगर सामान्य से अलग हो, तो डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें। सही दवा की पहचान के लिए ब्रांड की वैधता और अप्रूवल स्टेटस को भी चेक करें।
ऑनलाइन दवाओं की खरीदारी करते वक्त, हमेशा विश्वसनीय प्लेटफॉर्म से ही दवा खरीदें। यदि आपको किसी दवा पर संदेह हो, तो उसे खरीदने से पहले पूरी जानकारी लें।
अगर आपको कोई दवा संदिग्ध नजर आए, तो तुरंत स्थानीय हेल्थ अथॉरिटी से शिकायत दर्ज कराएं और इलाज में बदलाव के लिए डॉक्टर से संपर्क करे।