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वो 9 अद्भुत बातें, जो डॉ. राधाकृष्णन को बनाती हैं खास

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5 सितम्‍बर को जन्‍म

डॉ. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितम्बर को हुआ था। इसी दिन टीचर्स डे मनाया जाता है। आइए उनके बारे में 10 बातें जानते हैं, जो उन्हें खास बनाती हैं।

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शिक्षक दिवस: डॉ. राधाकृष्णन की विरासत का जश्न

टीचर्स डे के दिन सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन की विरासत का जश्न मनाया जाता है। ताकि आने वाली पीढ़ियां एजूकेशन के प्रति प्रेरित हो सकें।

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तमिलनाडु में जन्म

उनका जन्म साल 1888 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। वह सर्वपल्ली वीरस्वामी और सीताम्मा के बेटे थे। उनके 6 बच्चे थे। उनका विवाह शिवकामु से हुआ था।
 

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कम उम्र में बने प्रोफेसर

राधाकृष्णन ने 1906 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। कम उम्र में ही प्रोफसर बन गए। 

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1931 में नाइट की उपाधि

डॉ. राधाकृष्णन को शैक्षणिक योगदान के लिए ब्रिटेन के तत्कालीन किंग जॉर्ज पंचम ने नाइट की उपाधि से नवाजा। तभी से उन्हें सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहा जाने लगा।

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यूनेस्को और मॉस्को में रहें भारत के राजदूत

डॉ. राधाकृष्णन 1946 में संविधान सभा के लिए चुने गए। यूनेस्को और मॉस्को में भारत के राजदूत भी रहें। 1952 में भारत के उपराष्ट्रपति और 1962 में राष्ट्रपति भी बने।

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1954 में भारत रत्न

डॉ. राधाकृष्णन को 1954 में भारत रत्न दिया गया। 1963 में ऑर्डर ऑफ मेरिट और 1975 में टेम्पलटन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

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इन यूनिवर्सिटीज के रहें कुलपति

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिंदू विवि (1939-1948) और आंध्र विश्वविद्यालय (1931-1936) के कुलपति भी रहें।
 

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दिल्ली विवि के कुलाधिपति

वह 1953-1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में रहे।

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राधाकृष्णन मेमोरियल पुरस्कार

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय उनके सम्मान में राधाकृष्णन शेवनिंग स्‍कॉलरश‍िप और राधाकृष्णन मेमोरियल पुरस्कार देता है।
 

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हेल्पेज इंडिया की स्थापना

डॉ. राधाकृष्णन ने बुजुर्गों और वंचितों की सहायता करने के मकसद से हेल्पेज इंडिया की स्थापना की।

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