भारतीय बाजार में कई प्रकार की ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी मौजूद हैं, जिनमें AMT, IMT, CVT, DCT आदि शामिल हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि AMT और DCT ट्रांसमिशन में क्या फर्क है।
भारत के अर्बन ट्रैफिक क्लचलेस डुअल-पेडल टेक्नोलॉजी यानि ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (AMT) का क्रेज बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह अर्बन एरिया की सड़कों के संकरा होना और बढ़ती भीड़ है।
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (AMT) कार में क्लच नहीं होता और न ही बार बार गियर बदलने की ज़रूरत पड़ती है, स्पीड और ड्राइविंग कंडीशन के हिसाब से कार खुद गियर बदल लेती है।
AMT में क्लच का काम सेंसर और एक्चुएटर करता है। इसे फुल ऑटोमैटिक पर भी चला सकते हैं। ज़रूरत पड़ने पर मैनुअल ड्राइविंग मोड डाला जा सकता है, इसमें प्लस और माइनस के निशान होते हैं।
इस टेक्नोलॉजी में सिस्टम और ड्राइवर के बीच एकमात्र संपर्क एक्सीलेरेटर और ब्रेक पेडल के जरिए होता है। इसमें गीयर लीवर को पुश करके गियरअप और गियर डाउन कर सकते हैं।
डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT) मार्केट कारों में उपलब्ध सबसे शानदार ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में से एक है। यह AMT टेक्निक की तुलना में एक पुरानी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी है।
DCT हाई एंड स्पोर्ट्स कारों व सुपरकारों से ली गई है और समय के साथ इसे रिफाइन किया गया है। इसमें 2 अलग-अलग क्लच होते हैं। जो 2 गियर रेशियो के सेट को ऑड-ईवन तरीके से ऑपरेट करते हैं।
DCT में कंप्यूटर पहले से तय कर लेता है कि अगला गियर कौन सा होना चाहिए। इसके लिए वह दूसरे क्लच का इस्तेमाल करता है। कंप्यूटर गियर को ऊपर और नीचे शिफ्ट करने को आंकता है।
AMT के निर्माण की कास्ट DCT के लिए आवश्यक कास्ट की तुलना में काफी कम है। यही कारण है कि ज्यादातर मास-मार्केट कारें DCT के बजाय AMT का इस्तेमाल करती हैं।
AMT कारें DCT मॉडल की तुलना में किफायती हैं। न सिर्फ वाहन की कीमत बल्कि रखरखाव में भी AMT कारें ग्राहकों को DCT मॉडल की तुलना में ज्यादा किफायती होती हैं।
AMTअपने मैनुअल समकक्षों की तुलना में ज्यादा फ्यूल कंजप्शन करता हैं। हालांकि AMT इसे चुनौती देते हैं, क्योंकि यह टेक्नाेलॉजी प्रभावशाली फ्यूल इकोनॉमी देने के लिए जानी जाती है।
AMT कुछ मामलों में अपने मैनुअल कारों की तुलना में बेहतर माइलेज भी देती हैं। दूसरी ओर DCT टेक्नोलॉजी AMT जितनी फ्यूल-एफीसएंट नहीं है।