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भगवत प्राप्ति के लिए गुरु जरूरी है या नहीं? एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से यह सवाल पूछा।
प्रेमानंद महाराज ने भक्त से पूछा कि आप वृंदावन पहली बार आए हो और आपको निधिवन व अन्य जगहों पर जाना है तो गाइड की जरूरत है या नहीं?
वह कहते हैं कि उसी तरह संसार की भूल भुलैया में बिना गाइड के परमात्मा की प्राप्ति कैसे होगी। चाहे शिव कहो, या राम—कृष्ण। सब एक ही हैं।
वह कहते हैं कि परमात्मा बिना गुरुदेव की कृपा के कैसे प्राप्त हो सकते हैं। गुरु प्राप्ति का आसान मार्ग भी बताया।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि जिस संत की बात मान लो वही गुरुदेव। हम कह रहे हैं कि राधा—राधा, कृष्ण—कृष्ण, शिव—शिव जपो। कल्याण हो जाएगा।
उनका कहना है कि गुरु का मतलब किसी महापुरुष द्वारा सत्य मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। उसे हम पकड़ लें तो हमारा काम हो जाएगा।
वह कहते हैं कि भगवान अनंत जन्मों से तुम्हारे हृदय में बैठे हुए हैं। वह तो कहते हैं कि गलत काम मत करो। कोई उनकी बात मानता है क्या?
उनके मुताबिक, गुरुदेव की दृष्टि जब हम पर पड़ती है तो अनुशासन और दुलार दोनों मिलता है। हमें मानना चाहिए कि 'गुरु बिन भवनिधि तरे न कोई।'
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