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हाल ही में Lebanon और Syria के कुछ हिस्सों में पेजर डिवाइस की हैकिंग से सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए, जिसमें कई लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए।
पेजर एक कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो रेडियो सिग्नल्स के माध्यम से संदेश भेजने और प्राप्त करने का काम करता है। 1990 के दशक में इसका व्यापक इस्तेमाल होता था।
विशेषज्ञों के अनुसार, पेजर सिस्टम की सुरक्षा कमजोर होती है। इसे हैकर्स आसानी से हैक कर सकते हैं और संदेशों को कैप्चर करके धमाका जैसे खतरनाक काम अंजाम दे सकते हैं।
पहली थ्योरी कहती है कि पेजर की रेडियो फ्रीक्वेंसी को हैक करके उसकी बैटरी को ओवरहीट किया गया, जिससे ब्लास्ट हुआ।
मोबाइल डिवाइस पेजर से अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इनमें एन्क्रिप्शन और एडवांस सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होते।
विशेषज्ञों के अनुसार, iOS को Android की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है। iOS की बंद प्रणाली (Closed Ecosystem) इसे हैकिंग से बचाने में मदद करती है।
लेबनान और सीरिया की घटनाओं के बाद, यह साफ हो गया है कि पुरानी तकनीकों को हटाकर नई और अधिक सुरक्षित टेक्नोलॉजी अपनाना अब बेहद जरूरी हो गया है।
पुराने डिवाइस और तकनीक को पूरी तरह से खत्म करके आधुनिक और सिक्योर तकनीक अपनाने से ही साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
हालांकि मोबाइल फोन काफी सुरक्षित माने जाते हैं, फिर भी साइबर सुरक्षा के उपायों को मजबूत करने की जरूरत है ताकि ऐसे खतरों से बचा जा सके।
डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना बेहद जरूरी है। स्मार्टफोन और दूसरी डिवाइस की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सतर्क रहें।