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पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है जो मुख्यतः 80 और 90 के दशक में मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होती थी। आज भी आतंकी संगठन इसे सुरक्षा कारणों से उपयोग में लाते हैं।
पेजर रेडियो वेव्स के जरिये काम करता है। किसी भी व्यक्ति की रेडियो फ्रीक्वेंसी पर सेट करके, मैसेज भेजे और रिसीव किए जा सकते हैं।
पेजर तीन प्रकार के होते हैं। वन-वे पेजर, टू-वे पेजर, और वॉइस पेजर। इनसे केवल मैसेजिंग होती है, कॉलिंग संभव नहीं है।
पेजर को मॉनिटर करना कठिन होता है, इसलिए आतंकी संगठन और अपराधी इसे सुरक्षित मानते हैं।
पहली थ्योरी कहती है कि पेजर की रेडियो फ्रीक्वेंसी को हैक करके उसकी बैटरी को ओवरहीट किया गया, जिससे ब्लास्ट हुआ।
इस प्रोसेस में बैटरी का तापमान बढ़ता है और केमिकल रिएक्शन के कारण धमाका हो जाता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इजरायली एजेंसी मोसाद ने पेजर में पहले से विस्फोटक प्लांट कर दिए थे, जिससे ब्लास्ट हुआ।
पेजर ब्लास्ट की थ्योरी पर कई विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।