Utility News
देश की 18वीं लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार कई सांसदों का पहले तो टिकट गया, जिनको मिला भी, उनमें से कई चुनाव हार गए। जिसकी वजह से अब वह पेंशन के हकदार बन गए।
सरकारी कर्मचारियों की पेंशन खत्म करने वाली देश की संसद का अगर कोई एक भी दिन का मेंबर बनने पर पेंशन का हकदार बन जाता है। आईए जानते हैं पूर्व सांसदों के पेंशन के क्या हैं रूल?
पार्लियामेंट मेंबर (लोकसभा-राज्यसभा दोनों) को वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम-1954 के तहत पेंशन मिलती है। ये एमाउंट फिलहाल हर महीने 25 हजार रुपए बताई जा रही है।
इसके अलावा यदि कोई MP 5 साल से अधिक समय तक सांसद रहता है यानि जैसे-जैसे कार्यकाल बढ़ता है, उसकी वरिष्ठता का सम्मान करते हुए हर साल 1500 रुपए महीने अलग से दिए जाते हैं।
यूपी CM योगी आदित्यनाथ जब सांसद थे, तो उनकी अगुवाई में बनी कमेटी ने सांसदों का पेंशन एमाउंट बढ़ा कर 35 हजार रुपए करने का प्रस्ताव दिया था।
सांसदों की पेंशन के लिए किसी मिनिमम कार्यकाल की कोई टाइम लिमिट तय नहीं की गई है। मतलब कोई एक भी दिन के लिए सांसद बने उसे आजीवन पेंशन मिलती रहेगी।
सांसदों की फेमिली को भी पेंशन मिलती है। किसी सांसद या पूर्व सांसद की मृत्यु होने पर उनके पति, पत्नी या आश्रित को आधी पेंशन मिलती रहेगी।
विधायक-सांसद दोनों के लिए अलग रूल हैं। मसलन कोई विधायक चुनाव जीतकर सांसद बन जाए तो उसे सांसद का वेतन तो मिलता ही है, विधायक की पेंशन भी मिलती रहती है।
पूर्व सांसद-पूर्व विधायक के रूप में दोनों की पेंशन मिलती है। ऐसे ही कोई पूर्व सांसद या विधायक मंत्री बन जाता है तो उसे मंत्री पद की सेलरी के साथ ही सांसद-विधायक की पेंशन भी मिलेगी।
पूर्व सांसद अपने एक सहयोगी के साथ किसी भी ट्रेन में सेकेंड AC में फ्री यात्रा कर सकता है। अगर पूर्व सांसद अकेले यात्रा करता है तो उसे फर्स्ट AC में ये फ्री सुविधा मिलेगी।
राज्य विधानसभाओं और विधान परिषद में भी पेंशन में भी यही रूल लागू होता है। कोई एक दिन के लिए विधायक चुना जाए या लंबे समय के लिए रहे, उसे पेंशन मिलनी ही मिलनी है।