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एक शख्स ने पूछा कि उसके 20 साल के बेटे ने सुसाइड कर लिया। उसकी आत्मा की मुक्ति के लिए वह क्या कर सकते हैं?
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सुसाइड करना बहुत बड़ा पाप माना गया है। सुसाइड करने वाले शख्स की आत्मा प्रेत योनि में भटकती है।
वह कहते हैं कि प्रेत योनि में अपार कष्ट होता है। जीव को पानी भी उपलब्ध नहीं होता है। उसकी आत्मा की शांति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करना चाहिए।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि जिस शख्स ने आत्महत्या की है। उसकी आत्मा की शांति के लिए श्रीमद्भागवत कथा के अलावा 24 घंटे का नाम कीर्तन भी कराना चाहिए।
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मृतक के लिए संकल्प लेकर श्रीमद्भागवत का पाठ कराना चाहिए और यह 7 दिन का होना चाहिए।
वह कहते हैं कि मृतक की आत्मा की शांति के लिए उसकी तस्वीर रखकर 7 दिन तक श्रीमद्भागवत का पाठ कराए और फिर कथावाचक को उचित दक्षिणा भी जरूर दिया जाए।
वह यह भी कहते हैं कि श्रीमद्भागवत कथा के बाद 10 से 20 लोगों को भोजन भी कराना चाहिए और यह सारा काम उस व्यक्ति के नाम संकल्प लेकर करना चाहिए। इससे उसका परम कल्याण होगा।